अगर तुम श्वास के प्रति सजगता का, बोध का एहसास करते गए तो एक दिन अनजाने ही तुम अंतराल को पा जाओगे । क्योंकि जैसे-जैसे तुम्हारा बोध तीब्र गहरा और सघन होगा, जैसे-जैसे तुम्हारा बोध स्पष्ट आकार लेगा। जब सारा संसार भूल जाएगा। बस श्वास का आना जाना ही एक मात्र बोध रह जाएगा—तब अचानक तुम उस अंतराल को अनुभव करोगे। जिसमें श्वास नहीं है।
अगर तुम सूक्ष्मता से श्वास-प्रश्वास के साथ यात्रा कर रहे हो तो उस स्थिति के प्रति अबोध कैसे रह सकतेहो। जहां श्वास नहीं है। वह क्षण आ ही जाएगा जब तुम महसूस करोगे। कि अब श्वास न जाती है, न आती है। श्वास क्रिया बिलकुल ठहर गई है। और उसी ठहराव में श्रेयस का वास है।
यह एक विधि लाखों-करोड़ों- लोगों- के लिए पर्याप्त है। सदियों- तक समूचा एशिया इस एक विधि के साथ जीया और उसका प्रयोग करता रहा। तिब्बत , चीन, जापान, बर्मा, रतलाम,श्रीलंका। भारत को छोड़कर समस्त एशिया सदियों- तक इस एक विधि का उपयोग करता रहा। और इस एक विधि के द्वारा हजारों -हजारों-व्यक्ति ज्ञान को उपलब्ध हुए। और यह पहली ही विधि है। दुर्भाग्य की बात कि चूंकि यह विधि बुद्ध के नाम से संबंद्ध हो गई। इसलिए हिंदू इस विधि से बचने की चेष्टा में लगे रहे । क्योंकि यह बौद्धविधि की तरह बहुत प्रसिद्ध हुई। हिंदू इसे बिलकुल भूल गये। इतना ही नहीं उन्होंने और एक कारण से इसकी अवहेलना की। क्योकि शिव ने सबसे पहले इस विधि का उल्लेख किया अनेक बौद्धों ने इस विज्ञान भैरव तंत्र के बौद्ध
ग्रंथ होनेका दावा किया। वे इसे हिन्दू ग्रंथ नहीं मानते।
यह न हिंदू है और न बौद्ध और विधि मात्र विधि है। बुद्ध ने इसका उपयोग किया,लेकिन यह उपयोग के लिए मौजूद ही थी।
और इस विधि के चलते बुद्ध-बुद्ध हुए। विधि तो बुद्ध से भी पहले थी। वह मौजूद ही थी। इसको प्रयोग में लाओ। यह सरलतम विधियों-में से है—अन्य विधियों-की तुलना में। मैं यह नहीं कहता की यह विधि तुम्हारे लिए सरल है। अन्य विधियां अधिक कठिन होगी । यही कारण है कि पहलीविधि की तरह इसका उल्लेख हुआ है।
"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"
If you go on realizing your awareness of breathing, then one day you will find the gap unconsciously. Because as your perception will become darker and denser, your perception will take a clear shape. When the whole world will forget. Only the passing of breath will be the only realization - then suddenly you will feel that gap. In which there is no breathing.
If you are traveling with subtlety, then how can you remain immune to that situation. Where there is no breathing. That moment will come when you will feel. That the breath does not go away, nor does it come. The breathing has stopped completely. And Shreyas resides in the same halt.
This one method is sufficient for millions. For centuries - the whole of Asia lived and experimented with this one method. Tibet, China, Japan, Burma, Ratlam, Sri Lanka. All of Asia except India continued to use this method for centuries. And through this one method, thousands of thousands of people got knowledge. And this is the first method. Unfortunately, since this method became associated with the name of Buddha. Therefore, Hindus continued to try to avoid this method. Because it became very famous like Buddhist method. Hindus completely forgot it. Not only this, they disregarded it for another reason. Because Shiva first mentioned this method, many Buddhists Buddhists of this science Bhairav Tantra
Claimed to be scripture. They do not consider it a Hindu book.
It is neither Hindu nor Buddhist and just a law. The Buddha used it, but it existed for use.
And this method led to Buddha-Buddha. The method was even before Buddha. She was present. Use it. It is one of the simplest methods - compared to other methods. I do not say that this method is easy for you. Other methods will be more difficult. That is why it is mentioned like the first method.
"Osho Vigyan Bhairava Tantra"
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