सूत्र कहता है—‘’क्रोध में क्षुब्द होकर उसमे ठहरे रहो,स्थित रहो।‘’
अगर तुमको क्रो घेरे तो उसमे ही स्थित रहो। अगर उदासी घेरे तो उसमे भी। भय, चिंता, कुछ भी हो, उसमें ही ठहरे रहो, डटे
रहो, जो भी मन में हो, उसे वैसा ही रहने दो, क्योंकि शरीर तो मर चुका है।
यह ठहरना बहुत सुंदर है। अगर तुम कुछ 'मिनट- के'लिए भी ठहर गए तो पाओगे कि सब कुछ बदल गया। लेकिन हम हिलने
लगते है। यदि मन में कोई आवेग उठता है तो शरीर हिलने लगता है। उदासी आती है, तो भी शरीर हिलता है। इसे आवेग
इसी लिए कहते है कि यह शरीर में वेग पैदा करता है। मृतवत महसूस करो—और आवेग- को शरीर हिलाने की इजाजत मत दो। वे
भी वहां रहे और तुम भी वहां रहो। स्थिर, मृतवत। कुछ भी हो, पर हलचल नहीं हो, गत गति नहीं हो। बस ठहरे रहो।
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"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"
The source says - "Stay indignant in anger, stay in it."
If you surround yourself then stay in it. If sadness surrounds him Fear, worry, whatever, stay in it, stay
Stay, whatever is in the mind, let it be so, because the body is dead.
This stay is very beautiful. If you stay for a few minutes, you will find that everything has changed. But we move
Looks like. If an impulse arises in the mind, the body starts moving. Even if sadness occurs, the body moves. Impulse it
That is why it produces velocity in the body. Feel dead — and don't allow impulse — to move the body. They
Stay there and you too. Steady, dead. Whatever happens, but there is no movement, there is no speed. Just stay.
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"Osho Vigyan Bhairava Tantra"
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