Snehdeep Osho Vision

 मृतवत लेटे रहो। क्रोध में क्षुब्द होकर उसमे ठहरे रहो। या पुतलियों को घुमाएं,बिना एकटक घूरते रहो। या कुछ चुसो और

चूसना बन जाओ।

‘’मृतवत लेटे रहो।‘’

प्रयोग करो कि तुम एकाएक मर गए हो। शरीर को छोड़ दो,क्योंकि तुम मर गए हो। बस कल्पना  करो कि मृत हूं,मैं शरीर 

नहीं हूं, शरीर को नहीं हिला सकता। आँख भी नहीं हिला सकता। मैं चीख -चिल्ला भी नहीं सकता। न ही मैं रो सकता हूं, कुछ भी नहीं कर सकता। क्योंकि मैं मरा हुआ हूं। और तब देखो तुम्हें कैसा लगता है। लेकिन अपने को धोखा मत दो। तुम शरीर को थोड़ा हिला सकते हो, नहीं , हिलाओ नहीं । लेकिन मच्छर भी आ जाये, तो भी शरीर को मतृ समझो। यह सबसे अधिक उपयोग की गई विधि है।

रमण महर्षि इसीविधि से ज्ञान को उपलब्ध हुए थे। लेकिन यह उनके इस जन्म की विधि नहीं थी। इस जन्म में तो अचानक सहज ही यह उन्हें घटित हो गई। लेकिन जरूर उन्होंने किसी पिछले जन्म में इसके सतत साधना की होगी।

अन्यथा सहज कुछ भी घटित नहीं होता। प्रत्येक चीज का कार्य कारण संबंध रहता है।

यही विधि है जो रमण को सहज घटित हुई। लेकिन तुमको यह सहज ही नही घटित होने वाला। लेकिन प्रयोग करो तो किसी जीवन में यह सहज हो सकती है। प्रयोग करते हुए भी यह घटित हो सकती है। और यदि नहीं घटित हुई तो भी प्रयत्न कभी व्यर्थ नहीं जाता है। यह प्रयत्न तुम में रहेगा। तुम्हारे भीतर बीज बनकर रहेगा। कभी जब उपयुक्त समय होगा और वर्षा होगी, यह बीज अंकुरित हो जाएगा।

सब सहजता की यही कहानी है। किसी काल में बीज बो दिया गया था। लेकिन ठीक समय नहीं आया था। और वर्षा नहीं हुई थी। किसी दूसरे जन्म और जीवन में समय तैयार होता है, तुम अधिक प्रौढ़ अधिक अनुभवी होते हो। और संसार में उतने ही निराश होते हो, तब किसी विशेष स्थिति में वर्षा होती है और बीज फूट निकलता है।

"ओशो"- 

"विज्ञान भैरव तंत्र"

Lie dead  Stay indignant in anger and stay in it.  Or rotate the pupils, staring without staring.  Or kiss something

 Suck it.

 "Stay lying dead."

 Use that you have died suddenly.  Leave the body, because you have died.  Just imagine i'm dead i body

 No, I cannot move the body.  Can't even move the eye.  I can't even scream.  Nor can I cry, do nothing.  Because I am dead.  And then see how you feel.  But don't cheat yourself.  You can move the body a little, no, don't move.  But even if a mosquito comes, consider the body to be mistrusted.  This is the most commonly used method.

 Ramana Maharishi had attained knowledge by this method.  But this was not the method of his birth.  In this birth, it suddenly happened to them spontaneously.  But they must have practiced it continuously in a previous life.

 Otherwise nothing spontaneous happens.  The function of everything is a causal relationship.

 This is the method that happened easily to Raman.  But this is not going to happen to you easily.  But if you experiment, it can be comfortable in some life.  It can also occur while using.  And even if it did not happen, the effort is never in vain.  This effort will remain in you.  A seed will remain inside you.  Whenever there is a suitable time and there will be rain, this seed will sprout.

 This is the story of all ease.  The seed was sown in some time.  But the exact time did not come.  And there was no rain.  Time is ready in another birth and life, you become more mature and more experienced.  And just as disappointed in the world, then in a particular situation it rains and the seed comes out.

 "Osho"-

 "Vigyan Bhairava Tantra"



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