शिव कहते हैं :-
हे देवी, यह अनुभव दो श्वास के बीच घटित हो सकता है।
श्वास के भीतर आने के पश्चात और बाहर लौटने के ठीक पूर्व श्रेयस है, कल्याण है।
आरंभ के नौ विधियां श्वास-क्रिया से संबंध रखती है। इसलिए पहले हम श्वास-क्रिया के संबंध में थोड़ा समझ लें और विधियों- में;प्रवेश करेंगे । श्वास तुम्हारे और तुम्हारे शरीर के बीच एक सेतु है। सतत श्वास तुम्हें तुम्हारे शरीर से जोड़ रहा है। संबंधित कर रहा है। और श्वास ने सिर्फ तुम्हारे और तुम्हारे शरीर के बीच सेतु है, वह तुम्हारे और विश्व के बीच भी सेतु है। तुम्हारा शरीर विश्व का अंग है। शरीर के हरेक चीज, हरेक कण, हरेक कोश विश्व का अंश है। यह विश्व के साथ निकटतम संबंध है। और
श्वास सेतु है। और अगर सेतु टूट जाये तो तुम शरीर में नहीं रह सकते। तुम किसी अज्ञात आयाम में चले जाओगे। इस लिए
श्वास तुम्हारे और देश काल के बीच सेतु हो जाती है।
श्वास के दो बिंदु है, दो छोर है। एक छोर है जहां वह शरीर और विश्व को छूती है। और दूसरा वह छोर है जहां वह विश्वातीत
को छूती है। और हम श्वास के एक ही हिस्से से परिचित है। जब वह विश्व में शरीर में गति करती है। लेकिन वह सदा ही शरीर से अशरीर में गति करती है। अगर तुम दूसरे बिंदु को, जो सेतु है, ध्रुव है, जान जाओं। तुम एकाएक रूपांतरित होकर एक दूसरे ही आयाम में प्रवेश कर जाओगे।
लेकिन याद रखो,शिव जो कहते है वह योग नहीं है। वह तंत्र है। योग भी श्वास पर काम करता है। लेकिन योग और तंत्रके
काम में बुनियादी फर्क है। योग श्वास-क्रिया को व्यवस्थित करने की चेष्टा करता है। अगर तुम अपनी श्वास को व्यवस्था दो तो तुम्हारा स्वास्थ्य सुधर जायेगा। इसके रहस्य- को समझो, तो तुम्हें स्वास्थ और दीर्घ जीवन मिलेगा। तुम ज्यादा बलि ,ज्यादा ओजस्वी, ` ज्यादा जीवंत, ज्यादा ताजा हो जाओगे।
'ओशो विज्ञान भैरव तंत्र'
Shiva says: -
O Goddess, this experience can occur between two breaths.
After coming in and just before coming out, Shreyas is there.
The initial nine methods relate to breathing. Therefore, first we have some understanding with respect to breathing and will enter into the methods. Breathing is a bridge between you and your body. Constant breathing is connecting you to your body. Is related And the breath is just a bridge between you and your body, it is also a bridge between you and the world. Your body is part of the world. Everything in the body, every particle, every shell is part of the world. It is the closest connection with the world. And The breath is the bridge. And if the bridge breaks, you cannot remain in the body. You will go into some unknown dimension. Hence Breathing becomes a bridge between you and the country.
Breathing has two points, two ends. There is an end where she touches the body and the world. And the other end is where it
Touches And we are familiar with only one part of breathing. When she moves in the body in the world. But she always moves from body to body. If you know the second point, which is the bridge, it is the pole. You will suddenly transform and enter another dimension.
But remember, what Shiva says is not yoga. That is Tantra. Yoga also works on breathing. But of yoga and tantra
There is a fundamental difference in work. Yoga seeks to organize breathing. If you arrange your breathing then your health will improve. Understand its secret - then you will get healthy and long life. You will be more sacrificial, more energetic, more vibrant, more refreshed.
'Osho Vigyan Bhairav Tantra'
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