युवा सप्ताह 2021

 

19- 01- 2021 को समाजवादी पार्टी अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव  द्वारा युवा आइकॉन (युवक आदर्श)  सम्मान किया गया ।
इस सम्मान का एक  हिस्सा मुझे भी बनाया गया मैं यह सम्मान "ओशो और विवेकानन्द के साथ डॉ. भीमराव अम्बेडकर " को समर्पित करता हूँ ।
भारत युवा कहा जा रहा है लेकिन केवल कहने मात्र से युवा नहीं हो सकता है ,भारतीय तथाकथित युवा की मनोदशा सदियों पुरानी पाखंड, और दकियानूसी है ,वह बूढा ही पैदा होता है और बूढा ही मरता है । भारत का युवा को पैदा करना होगा जिसका चित्त युवा हो वह किसी जाति,धर्म,राष्ट्र से बंधा नहीं वह मानवीय संवेदना से भरपूर स्वतंत्र हो उसके लिए मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा,चर्च का भेद ना हो वह मात्र उसे स्वयं में उतारने खुद को समझने के लिए ध्यान के लिए स्थान मात्र हो । वह सहज ,सरल,स्वाभाविक हो ।
हमारा संबिधान ऐसा ही युवा है जो हमेशा देश को युवा रखेगा लेकिन उसपर कुछ धूल की परतें डालने की कोशिश की जाती रहीं हैं उसको आज के युवा को समझने की जरूरत है उसके उपयोग की कला सीखनी होगी ।
आनंद बोधि (दीपक कुमार )
कुछ बातें यहां विवेकानंद और ओशो की उद्धरण कर रहा हूँ ताकि कुछ बातें समझ आ सकें ।
विवेकानंद : जाति-पुरोहितवाद से लड़ने वाले क्रांतिकारी जिन्हें भगवा हिंदूवादी बना दिया गया,स्वामी विवेकानंद का राजनीतिक प्रतीक की तरह इस्तेमाल उनके जीवन और विचारों के तटस्थ मूल्यांकन में एक बड़ी बाधा है
अव्यक्त :- हर दौर में दुनिया में ऐसी कई ऐतिहासिक शख़्सियतें हुई हैं, जिन्होंने अपेक्षाकृत कम उम्र में ही समाज में हलचलें पैदा कर दीं. सुदूर अतीत में ईसा मसीह और शंकराचार्य हुए जिनका जीवनकाल बहुत छोटा रहा. हाल के इतिहास में छोटी उम्र के बड़े क्रांतिकारियों में भगत सिंह, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और स्वामी विवेकानंद जैसे उदाहरण सामने आते हैं.
स्वाभाविक है कि यदि छोटे से जीवन में बड़े काम हुए हैं, तो उनका जीवन भी नाटकीय घटनाओं से भरा रहा होगा. परिस्थितियों के मारे उनमें तेजी से आनेवाले बदलावों की एक श्रृंखला रही होगी. उनके व्यक्तित्व का कोई ऐसा अनोखा पहलू रहा होगा, जो उन्हें अपने समकालीनों से अलग करता होगा. यह सब कुछ मिलकर उनके जीवन को किंवदंती बनाता होगा.
अब ऐसी क्रांति की जरूरत है जो बाकी की क्रांतियों को भुला दे। अब एक ऐसी क्रांति की जरूरत है, जो कल्याण करनेवालों से कहे कि आप क्षमा करें। बहुत कल्याण हो चुका। पांच हजार साल से जो हमारा कल्याण करते हैं, अभी तक नहीं कर पाए, अब आप चुप हो जाएं। अब आपकी कोई जरूरत नहीं है।
गरीब के कल्याण का मतलब है, संपत्ति का उत्पादन और गरीब के कल्याण का मतलब है, ऐसे यंत्रों का उत्पादन जो संपत्ति को हजार गुना रूप से पैदा करने लगे। गरीब के कल्याण का मतलब है, पृथ्वी को वर्ग-विद्वेष से विहीन करने का उपाय, वर्ग-विद्वेष नहीं। लेकिन सारे समाजवादी वर्ग-विद्वेष पर जीते हैं। उनका सारा जीना क्लास-कांफ्लिक्ट पर है। गरीब को अमीर के खिलाफ भड़काओ, कारखाना कम चले, कारखाने बंद हों, हड़ताल हो, बाजार बंद हों, मोर्चे हों--इनमें लगे रहें। गरीब को पता नहीं कि जितने मोर्चे होते हैं, जितनी हड़तालें होती हैं, जितना कारखाना बंद होता है--गरीब अपने हाथों से गरीब होने का उपाय कर रहा है; क्योंकि ऐसे देश की संपत्ति कम होगी।
"ओशो -नए भारत का जन्म "
भविष्य में, कुछ चीजें गायब हो जाएंगी।*
राष्ट्रों को मिटना होगा क्योंकि पृथ्वी एक छोटा गाँव बन गया है;  अब वे अर्थहीन हैं।  भारत और पाकिस्तान और चीन और अमेरिका और कनाडा और इंग्लैंड और जर्मनी अर्थहीन हैं;  पृथ्वी एक हो गई है  जिस दिन मनुष्य गुरुत्वाकर्षण से परे जाने में सक्षम हो गया, पृथ्वी एक हो गई।  एक अंतरिक्ष यान में पहला आदमी रोने लगा जब उसने पूरी पृथ्वी को एक के रूप में देखा।  किसी ने भी पूरी पृथ्वी को एक के रूप में नहीं देखा था।  उसने पृथ्वी को देखा वह विश्वास नहीं कर सकता था कि अमेरिका और रूस और चीन और इस और उस के कोई विभाजन कैसे हो सकते हैं।  वह खुद के बारे में अमेरिकी या रूसी नहीं सोच सकता था।
वह केवल पृथ्वीवासी के रूप में ही अपने बारे में सोच सकता था।  और वह पृथ्वी के किसी भी विभाजन को नहीं देख सकता था क्योंकि विभाजन केवल राजनीतिक मानचित्र पर होते हैं;  पृथ्वी अविभाजित है।  जिस दिन मनुष्य गुरुत्वाकर्षण की बाधा को पार कर गया, गुरुत्वाकर्षण से मुक्त हो गया, पृथ्वी एक हो गई।  यह अब केवल समय का सवाल है .... राष्ट्रों को गायब होना होगा, और राष्ट्रों के साथ राजनेताओं की दुनिया और राजनीति की दुनिया गायब हो जाएगी।  एक महान दुःस्वप्न पृथ्वी से गायब हो जाएगा।
और राष्ट्रों के साथ गायब होने वाली दूसरी चीज हिंदू धर्म, मोहम्मडनवाद, ईसाई धर्म, यहूदी धर्म है।  जिस तरह राजनीति ने पृथ्वी के नक्शे को विभाजित किया है, धर्मों ने मनुष्य की चेतना को विभाजित किया है। निश्चित रूप से धर्म का विभाजन राजनीति के विभाजन से अधिक खतरनाक है, क्योंकि राजनीति केवल पृथ्वी को विभाजित कर सकती है ... धर्मों ने मनुष्य की चेतना को विभाजित किया है।  मनुष्य को उसके अस्तित्व तक पहुंचने की अनुमति नहीं है।  एक सिर्फ मोहम्मडन होना है - एक बहुत ही संकीर्ण चीज।
एक को सिर्फ हिंदू होना है - बस एक बहुत ही संकीर्ण चीज है।  क्यों।  जब आपके पास पूरी विरासत हो सकती है?
जब पूरा अतीत तुम्हारा है और पूरा भविष्य तुम्हारा है, तो तुम्हें क्यों बांटना चाहिए?  मुझे खुद को 'हिंदू या मोहम्मडन या ईसाई' क्यों कहना चाहिए?  कुल का दावा करना चाहिए।  कुल का दावा करने से आप कुल हो जाते हैं: आप सभी संकीर्ण विभाजन, भेद खो देते हैं, आप पूरे हो जाते हैं।  तुम पवित्र बनो।  जो होना है, वही होना तय है।  ऐसा होना है।  अन्यथा मनुष्य और नहीं बढ़ सकेगा।
  यह बहुत महत्वपूर्ण है कि मनुष्य को सभी बाधाओं को छोड़ना होगा। राष्ट्र और धर्म और चर्च।  यही मैं यहां कर रहा हूं: मानव चेतना के विभिन्न फूलों द्वारा विभिन्न शताब्दियों में जारी सभी सुगंधों को एक साथ लाने की कोशिश करना।  लाओ त्ज़ू एक फूल है, तो बुद्ध है, तो जीसस हैं, तो मोहम्मद भी हैं, लेकिन अब हमें उनकी सारी सुगंध एक में मिलानी होगी - एक सार्वभौमिक सुगंध।  तब, पहली बार, मनुष्य धार्मिक और अभी तक अविभाजित हो सकेगा।  फिर चर्च भी तुम्हारा है और मस्जिद भी और मंदिर भी।  फिर गीता तुम्हारी है, और कुरान और वेद और बाइबिल - सब कुछ तुम्हारा है।  तुम विराट हो जाते हो।
नहीं, मैं एक नया फूल बनाने की कोशिश नहीं कर रहा हूं - फूल हो गए हैं।  मैं उन सभी फूलों में से एक नया इत्र बनाने की कोशिश कर रहा हूं।  यह अधिक सूक्ष्म है, अधिक अदृश्य है;  केवल जिनकी आंखें हैं वे इसे देख पाएंगे।
🌹ओशो 🌷  द पाथलेस पाथ
वॉल्यूम-1, पाठ-10
आज के युवा को  चिंतन करने की जरूरत है ।
आज देश का कर्ज  2014 में 29 लाख करोड़ कर्ज  2020 में बढ़ कर 40 लाख करोड़ कर्ज हो चुका है यह जानकारी पत्रकार प्रसुन्न बाजपेई के एपिसोड से है ।
क्या देश के धार्मिक ट्रस्टों संस्थानों और पूंजीपतियों की पूंजी को नहीं ली जा सकती है ?
देश की जनता टेक्स भी देती है धार्मिक संस्थानों को दान भी करती है देश बचाने में आज के युवा को क्रांति नहीं करनी चाहिए ? जिससे इन पैसों का देश के लिए उपयोग हो सके ।
जब देश आजाद हुआ था तो यहां के राजाओं व नबावों ने संपत्ति को देश के नाम कर दिया था ।
आज समय आ चुका है आर्थिक आजादी के लिए व्यक्तिगत पूंजी को सीमित (Personal capital limit Act.)  कानून बना कर सच्चे समाजवाद को स्थापित किया जा सकता है ।

Youth icon (Youth Model) was honored by Samajwadi Party President, former Chief Minister Honorable Akhilesh Yadav on 19-01-2021.

 I was also made a part of this honor. I dedicate this honor to "Dr. Bhimrao Ambedkar with Osho and Vivekananda".

 India is being called young but cannot be young by mere saying, the mood of Indian so-called youth is age-old hypocrisy, and sobriety, it is born old and dies old.  The youth of India will have to be born whose mind is young, they are not bound by any caste, religion, nation, they are free from human sensation, for that there is no distinction of temple, mosque, gurudwara, church, it is only to remove it in themselves and understand themselves  There is only space for meditation.  It should be simple, simple, natural.

 Our Constitution is such a youth that will always keep the country young, but efforts have been made to put some dust on it, it needs to understand the youth of today to learn the art of its use.

 Anand Bodhi (Deepak Kumar)


 I am quoting Vivekananda and Osho here to understand some things.

 Vivekananda: Revolutionaries fighting caste-priesthood who were made saffron Hinduists, the use of Swami Vivekananda as a political symbol is a major obstacle in the neutral evaluation of their lives and ideas.

 Avyakt: - In every era, there have been many such historical figures in the world, who created a stir in society at a relatively young age.  In the distant past, Jesus Christ and Shankaracharya had a very short life.  In recent history, examples of young age revolutionaries such as Bhagat Singh, Martin Luther King Jr. and Swami Vivekananda appear.

 It is natural that if big things have happened in a small life, then their life too must have been full of dramatic events.  There must have been a series of rapid changes in them due to the circumstances.  There must have been a unique aspect of his personality, which would set him apart from his contemporaries.  All this together will make his life a legend.

 Satyagraha

 Newspaper


 Now there is a need for a revolution that forgets the rest of the revolutions.  Now a revolution is needed that tells the welfare workers to forgive.  Well done.  For five thousand years, those who do our welfare have not been able to do it yet, now you should be silent.  There is no need for you anymore.

 Welfare of the poor means production of wealth and welfare of the poor means production of instruments that produce wealth thousand times.  Welfare of the poor means that the remedy of deviating the earth from class-envy, not class-envy, but all socialists live on class-envy.  All his live is on class-conflict.  Encourage the poor against the rich, the factory runs low, the factories are closed, the strike should be closed, the markets are closed, the front should be engaged.  The poor do not know that as many fronts, as many strikes, as many factories are closed - the poor is taking measures to be poor with their own hands;  Because the wealth of such country will be less.


 "Osho - Birth of New India"


 In the future, some things will disappear. *

  Nations have to disappear because the earth has become a small village;  Now they are meaningless.  India and Pakistan and China and America and Canada and England and Germany are meaningless;  The earth has become one, the day man became able to go beyond gravity, the earth became one.  The first man in a spacecraft began to cry when he saw the entire Earth as one.  Nobody saw the whole earth as one.  He looked at the earth, he could not believe how there could be any division of America and Russia and China and this and that.  He could not think of himself as American or Russian.

  He could only think of himself as an earthman.  And he could not see any division of the earth because the divisions are only on the political map;  Earth is undivided.  The day man crossed the barrier of gravity, freed from gravity, the Earth became one.  It is now only a question of time .... Nations will have to disappear, and the world of politicians and the world of politics will disappear along with nations.  A great nightmare will disappear from the earth.

 And the other thing that disappears with the nations is Hinduism, Mohammedanism, Christianity, Judaism.  Just as politics has divided the map of the earth, religions have divided the consciousness of man.  Certainly the division of religion is more dangerous than the division of politics, because politics can only divide the earth… religions divide the consciousness of man.  Man is not allowed to reach his existence.  One just has to be Mohammedan - a very narrow thing.

 One just has to be Hindu - just a very narrow thing.  Why  When you can have a full inheritance?

 When the whole past is yours and the whole future belongs to you, why should you share?  Why should I call myself 'Hindu or Mohammedan or Christian'?  Should claim the total.  Claiming the total makes you a total: you lose all narrow divisions, distinctions, you become complete.  You become pure.  Whatever is to be done is bound to happen.  It has to happen.  Otherwise man will not be able to grow any more.

   It is very important that man has to leave all obstacles.  Nation and Religion and Church.  This is what I am doing here: trying to bring together all the fragrances released in different centuries by different flowers of human consciousness.  Lao Tzu is a flower, so is Buddha, so is Jesus, so is Mohammed, but now we have to mix all of their fragrances into one - a universal fragrance.  Then, for the first time, man will become religious and yet undivided.  Then the church is also yours and the mosque as well as the temple.  Then the Gita is yours, and the Quran and the Vedas and the Bible - everything is yours.  You become immense.

 No, I'm not trying to make a new flower - the flowers are done.  I am trying to make a new perfume out of all those flowers.  It is more subtle, more invisible;  Only those who have eyes will see it.

 शosho 🌷 the pathless path

  Volume-1, Lesson-10

 The youth of today need to think.

 Today, the country's debt has increased to 29 lakh crore debt in 2014 from 40 lakh crore debt in 2020, this information is from the episode of journalist Prasun Bajpai.

 Can the capital of religious trusts, institutions and capitalists of the country not be taken?

 The people of the country also give tax and also donates to religious institutions. Today's youth should not make revolution in saving the country?  So that these money can be used for the country.

 When the country was liberated, the kings and prophets here gave the property to the country.

 Today, the time has come for true socialism can be established by making laws restricting personal capital for financial freedom.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यह ब्लॉग खोजें