Snehdeep Osho Vision

 लाओत्से का यह वचन, ―स्वर्ग और पृथ्वी दोनों ही नित्य हैं। इनकी नित्यता का कारण है कि ये स्वार्थ -सिद्धि के निमित्त नहीं 

जीते। इसलिए इनका सातत्य संभव है।’

इसलिए ये सदा रह सकते हैं, इनके मिटने की कोई जरूरत नहीं है। मिटता केवल अहंकार है। इस जगत में मिटने वाली चीज केवल अहंकार है। केवल एक ही चीज है, जो मॉर्टेल है। इसे थोड़ा कठिन होगा खयाल में लेना। इस जगत में न तो पदार्थ मिटता कभी, न आत्मा मिटती कभी, सिर्फ मिटता है अहंकार। शरीर कभी नहीं मिटता। मेरा यह शरीर,मैं नहीं था, तब भी था। इसका एक- एक कण मौजूद था। इसमें कुछ नया नहीं है। इस शरीर में जो कुछ भी है, वह सब मौजूद था। जब मैं नहीं था, तब भी । जब मैं नहीं रहूंगा, तब भी मेरे शरीर का एक कण भी मरेगा नहीं, सब मौजूद रहेगा। शरीर तो शाश्वत है, कुछ मरने वाला नहीं है उसमें ।

वैज्ञानिक कहते हैं कि हम एक छोटे से कण को भी नष्ट नहीं कर सकते। कुछ भी नष्ट नहीं किया जा सकता। शरीर में सब कुछ जो

है, वह शाश्वत है। जल जल में मिल जाएगा; आग आग में खो जाएगी; आकाश आकाश से एक हो जाएगा। लेकिन सब शाश्वत है। 

आकार खो जाएगा; लेकिन जो भी उस आकार में छिपा है, वह सब मौजूद रहेगा। मेरी आत्मा भी नहीं मरती। फिर मरता कौन है? 

मरना घटता तो है! मृत्यु होती तो है!

सिर्फ मेरे शरीर और आत्मा का संबंध टूटता है। और उसी संबंध के बीच में वह जो एक अहंकार है, दोनों के मेल से जो रोज-रोज मैं

पैदा कर रहा हूं, वह अहंकार टूटता है। लेकिन अगर मैं जान लूँ कि वह अहंकार नहीं है, तो मेरे भीतर मरने वाला फिर कुछ भी नहीं है। और जब तक मैं जानता हूं,मैं अहंकार हूं, तब तक मेरे भीतर अमृत का मुझे कोई भी पता नहीं है। न हो सकता है पता। कोई  उपाय भी नहीं है। आइडेंटीफाइड विद दि ईगो, पूरे हम एक हैं मैं के साथ, तो मृत्यु के सिवाय कुछ और होने वाला नहीं है। ‍क्योंकि जिस चीज के साथ हमने अपने को जोड़ा है, वह अकेली चीज इस जगत में मरणधर्मा है।

"ओशो ताओ उपनिषद"


Laotse's words, both heaven and earth, are eternal.  The reason for their routine is that it is not for self-realization

 Live  Therefore their continuity is possible. '

 So they can stay forever, there is no need to erase them.  Deletion is only ego.  The only thing that disappears in this world is ego.  The only thing left is Mortel.  It will be a little difficult to take care of  In this world neither matter ever disappears, nor soul fade away, only ego disappears.  The body never disappears.  This body of mine, I was not, still was.  It had one particle each.  There is nothing new in this.  Everything in this body was present.  Even when I was not.  When I am no more, even a particle of my body will not die, everything will be present.  The body is eternal, nothing is going to die in it.

 Scientists say that we cannot destroy even a small particle.  Nothing can be destroyed.  Everything in the body

 Is, it is eternal.  Water will get into the water;  The fire will be lost in the fire;  The sky will be one with the sky.  But everything is eternal.

 Shape will be lost;  But whatever is hidden in that shape, it will all exist.  Even my soul does not die.  Who dies then?

 It is possible to die  Death happens

 Only my body and soul break.  And in the midst of the same relationship, the one who is an ego, the combination of the two, every day I

 I am creating, he breaks the ego.  But if I know that he is not an ego, then there is nothing dying within me.  And as long as I know, I am ego, as long as I have no idea of ​​the nectar within me.  May not know  There is no solution.  Identified with the Ego, with the entire Hum Ek Hain Main, nothing is going to happen except death.  Because the thing with which we have connected ourselves is the only thing in this world.

 "Osho Tao Upanishad"



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