अमरीका में आज हिप्पी हैं, बीटल और पच्चीस तरह के नए उपद्रव हैं। उन उपद्रवों का सबसे महत्वपूर्ण कारण यही है कि अमरीका में जो हायरेरकी खड़ी हो गई है पद की, धन की, व्यवस्था की, नए युवकों को कोई भी आशा नहीं है की वे इस हायरेरकी पर चढ़ सकेंगे।
नए युवक को कोई भरोसा नहीं बैठता की वह निक्सन की जगह पहुंच पाएगा, या फोर्ड हो सकेगा, या मार्गन, या राकफेलर हो सकेगा। कोई फिक्र नहीं। लेकिन वह सड़क पर उलटे-सीधे कपड़े पहन कर तो खड़ा हो ही सकता है। बिना स्नान किए गंदगी में जी तो सकता है। और तब निक्सन को भी उस पर ध्यान देना पड़ता है। तब मजबूरी हो जाती है, उस पर ध्यान देना ही पड़ेगा। लेकिन वह जो भी कर रहा है, वह केवल ध्यान आकर्षित करने की व्यवस्था और कोशिश है। अहंकार ध्यान मांगता है। ठीक न मिले, गलत ढंग से
मांगता है। लेकिन इतना समझ लेना जरूरी है कि जब भी आप ध्यान मांगते हैं, तब आप अपने अहंकार को पैडल दे रहे हैं। यह आपको स्मरण रख लेना जरूरी है, जब भी आप ध्यान मांगते हैं! आप घर के भीतर प्रवेश किए हैं और आपके बेटे ने उठकर नमस्कार नहीं किया ।आपके मन में जो पीड़ा होती है, वह पीड़ा इसलिए नहीं है कि बेटा असंस्कृत हो गया है, अशिष्ट हो गया है। यह सब रेशनलाइजेशन है। पीड़ा यह है की बेटा भी ध्यान नहीं दे रहा है, अब कौन ध्यान देगा! सारा जगत गिरता हुआ मालूम पड़ता है; क्योंकि बेटा तक ध्यान नहीं दे रहा है!
हिंदुस्तान में माता-पिता बड़े तृप्त रहे हैं सदा। क्योंकि उन्होंने बड़ा अच्छा इंतजाम कर लिया था। बेटा उठकर सुबह से ही उनके पैर पड़ लेता था। दिन भर के लिए उनके हृदय की शांति हो जाती थी। अच्छा था। टेक्निकल था। व्यवस्था में आ जाता था, रूटीन हो
जाती थी। न बेटे को उससे कोई तकलीफ होती थी, न कोई करना पड़ता था खास; लेकिन पिता दिन भर के लिए शांत हो जाता था।
पश्चिम के पिता को कुछ न कुछ रास्ता खोजना पड़ेगा। क्योंकि पश्चिम में आदर प्रकट करने के लिए कोई ठीक इंतजाम नहीं किया उन्होंने। और आदर की मांग तो है ही। और आदर प्रकट करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। तो अडचन होती है। आदर की मांग तो है ही। बाप चाहता है, जब वह घर में प्रविष्ट हो, तो बेटा उसे स्वीकार करे की बाप घर में आ रहा है, घर का मालिक भीतर आ रहा है। मां भी यही चाहती है। बेटा भी यही चाहता है। सब यही चाहते हैं। छोटे से छोटे एक बच्चे का भी अहंकार यही चाहता है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
There are hippies in America today, beetles and twenty-five kinds of new nuisances. The most important reason for those nuisances is that in America, the status of the hierarchy, the money, the system, the new youths have no hope that they will be able to climb this hierarchy.
The new man has no confidence that he will be able to reach Nixon, or be Ford, or Morgan, or Rockefeller. No worries But he can stand on the street, wearing inverted clothes. You can live in the dirt without bathing. And then Nixon also has to pay attention to that. Then there is helplessness, one has to pay attention to it. But what he is doing is just a system of attention and effort. The ego demands attention. Don't get it wrong
Asks for But it is important to understand that whenever you ask for attention, then you are paddling your ego. It is important to remember you, whenever you ask for attention! You have entered inside the house and your son did not get up and greet. The pain you feel in your heart is not because the son has become uncultured, rude. This is all regionalization. The pain is that even the son is not paying attention, now who will pay attention! The whole world seems to be falling; Because even the son is not paying attention!
Parents have always been very satisfied in India. Because they had made very good arrangements. The son used to get up and put his feet in the morning. His heart was at peace for the whole day. it was good. Was technical. Used to be in the system, be routine
Used to go. Neither son had any problem with him, nor did he have to do anything special; But the father would calm down for the day.
West's father will have to find some way. Because he did not make any good arrangements to show respect in the West. And there is a demand for respect. And there is no system to show respect. So there is difficulty. There is a demand for respect. The father wants, when he enters the house, the son accepts that the father is coming into the house, the owner of the house is coming inside. Mother also wants the same. The son also wants the same. This is what everyone wants. The ego of even the smallest child wants this.
"Osho Tao Upanishad"
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