एक और जागरण भी है, जब तक भीतर किसी नींद की कोई जरूयत नहीं रह जाती, क्योंकि कोई अहंकार नहीं रह जाता, जिसे उतारने के लिए नींद की, बेहोशी की आवश्यकता हो। कोई भीतर अहंकार नहीं रह जाता, तो कोई तनाव नहीं रह जाता। तनाव नहीं रह जाता, तो नींद की कोई जरूरत नहीं रह जाती। शरीर थकेगा, सो लेगा; लेकिन भीतर चेतना जागती ही रहेगी। भीतर चेतना देखती रहेगी कि अब नींद आई; और अब नींद शरीर पर छा गई; और अब नींद समाप्त हो गई; और शरीर नींद के बाहर हो गया। भीतर कोई सतत जाग कर इसे भी देखता रहेगा।
कभी आपने सोेचा न होगा, कभी आपने अपनी नींद को आते हुए देखा है या कभी जाते हुए देखा है ? अगर देखा हो, तो आप एक धार्मिक आदमी हैं। और अगर न देखा हो, तो आप एक धार्मिक आदमी नहीं हैं। आप कितने मंदिर जाते हैं, इससे कोई संबंध नहीं है। और कितनी गीता और कुरान पढ़ते हैं, इससे भी कोई संबंध नहीं है। जांच की विधि और है। और वह यह है कि क्या आपने अपनी नींद को आते देखा है ? क्योंकि नींद को आते वही देख सकता है, जो भीतर नींद के आने पर भी जागा रहे । अन्यथा कैसे देख सकेगा ? नींद आएगी, आप सो चुके होंगे। नींद जाएगी, तब आप जागेंगे । इसलिए आपने अपनी नींद को कभी नहीं देखा है । जब नींद आ गई होती है, तब आप मौजूद नहीं रह जाते। देखेगा कौन ? और जब नींद जाती है, तब आप सोए होते हैं। देखेगा कौन ? नींद और आपका मिलन कभी नहीं होता। उसका अर्थ यह हुआ कि आप ही नींद बन जाते हैं। जब नींद आती है, तो आप इतने बेहोश हो जाते हैं कि भीतर का कोई कोना अलग खड़े होकर देख नहीं सकता कि नींद आ रही है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
There is also another awakening, as long as there is no need for any sleep inside, because there is no ego, which requires sleep, unconsciousness to take off. If there is no ego inside, then there is no tension. If there is no tension, there is no need for sleep. The body will be tired, will sleep; But the inner consciousness will remain awake. The inner consciousness will see that sleep now; And now sleep fell on the body; And now sleep is over; And the body got out of sleep. Someone inside will constantly be awake and watch it.
Sometimes you will not think, have you seen your sleep coming or ever seen it going? If seen, you are a religious man. And if you have not seen, you are not a religious man. It is not related to how many temples you visit. And how much Gita and Quran read is also not related. The method of investigation is more. And that is, have you seen your sleep coming? Because one can see sleep while sleeping, which can remain awake even when sleep is within. How would you see otherwise? You will sleep, you must have slept. You will sleep, then you will wake up. So you have never seen your sleep. When you are sleepy, then you are no longer present. Who will see it ? And when you go to sleep, you are asleep. Who will see it ? Sleep and you never meet. That means that you become sleepy. When sleepy, you become so unconscious that no inner corner can stand and see that sleep is happening.
"Osho Tao Upanishad"
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