जैसे-जैसे मनुष्य का अहंकार बढ़ा है, वैसे-वैसे दुनियां में बेहोश होने की व्यस्था में बढ़ती करनी पड़ी है। जितना सभ्य मुल्क, उतनी ज्यादा शराब! और अब हमें और नई चीजें खोजनी पड़ी हैं। मारिजुआना है, मेस्कलीन है, एल एस डी है। आदमी किसी तरह अपने को भूल पाए।
आखिर आदमी अपने को याद इतना रख कर क्यों परेशानी में पड़ता है ?
लाओत्से कहता है, यह प्रकृति इतनी शाश्वत है इसीलिए कि इसे पता ही नहीं है की मैं हूं । यह आकाश इतना नित्य है इसीलिए की
यह अपने लिए नहीं है, दूसरों के लिए है।
हम सब अपने लिए हैं। और जो आदमी जितना ज्यादा अपने लिए है, उतना परेशान होगा, विक्षिप्त हो जाएगा, पागल हो जाएगा। जितना हमारा बड़ा घेरा होता है जीने का, उतनी ही विक्षिप्तता कम हो जाती है। जो जितने ज्यादा लोगों के लिए जी सकता है, उतना ही हलका हो जाता है। उसमें पंख लग जाते हैं, वह आकाश में उड़ सकता है। और अगर कोई व्यक्ति अपने मैं को बिलकुल ही भूल जाए , तो उसके जीवन पर किसी तरह के ग्रेविटेशन का, किसी तरह की कशिश का कोई प्रभाह नहीं रह जाता। उसकी जमीन में कोई जड़े नहीं रह जातीं; वह आकाश में उड़ सकता है मुक्त होकर। पूरब ने इसी तरह के व्यक्तियों को मुक्त व्यक्ति कहा है, जिनका
जीवन मैं -केंद्रित, ईगो-सेंट्रिक नहीं है।
यह मैंने आपसे कहा की नींद आपको हलका कर जाती है इसीलिए की उतनी देर के लिए आप अपने मैं को भूल जाते हैं। मैंने आपसे कहा की बुढ़ापे में नींद की जरूरत कम हो जाती है, क्योंकि मैं इतना सघन हो जाता है कि नींद को आने भी नहीं देता। वह इतना भारग्रस्त हो जाता है मन की नींद के लिए जो शिथिलता और रिलैक्सेशन चाहिएह , वह असंभव हो जाता है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
As man's ego has increased, so has to grow in the world of unconsciousness. The more civilized the country, the more alcohol! And now we have to discover more new things. Marijuana is marijuana, LSD is. The man somehow managed to forget himself.
After all, why does a man get in trouble after remembering himself?
Lao Tzu says, This nature is so eternal that it does not even know that I am. This sky is so regular that It is not for ourselves, it is for others.
We are all for ourselves. And the more a man is for himself, the more he will be disturbed, deranged, insane. The more we have a big circle to live, the less the madness decreases. The more people who can live for it, the lighter it becomes. He gets wings, he can fly in the sky. And if a person forgets himself completely, then there is no dominance of any kind of gravitation, any kind of misery on his life. There are no roots in his land; He can fly free in the sky. The East has called such persons free people, Life is not i-centric, ego-centric. I told you that sleep makes you light, that's why you forget yourself for that long. I told you that the need for sleep decreases in old age, because I become so dense that I do not even allow sleep. He becomes so weighty that the relaxation and relaxation needed for sleep of the mind becomes impossible.
"Osho Tao Upanishad"
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