सर्व-मंगल हेतु जीना
1. स्वर्ग और नर्क दोनों ही नित्य हैं। इनकी नित्यता का कारण है कि मैं स्वार्थ-सिद्धि के निमित्त नहीं जीते; इसलिए इनका सातत्य संबि होता है।
2. इसलिए तत्वविद (संत) अपने व्यक्तित्व
को पीछे रखते हैं; फिर भी वे सबसे आगे पाए जाते हैं। वे निज की सत्ता की उपेक्षा करते हैं,
फिर भी उनकी सत्ता सुरक्षित रहती है। चूंकि उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं होता,इसलिए उनके लक्ष्यों की पूर्ति होती है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Live for all
1. Both heaven and hell are continual. The reason for their routine is that I do not live for self-realization; Therefore, they have continuity.
2. Hence the elemental (saint) his personality Keep back; Nevertheless they are found at the forefront. They ignore personal power, Yet their power remains secure. Since they have no selfishness, their goals are met.
"Osho Tao Upanishad"
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