अस्तित्व के सभी आयाम स्त्रैण और पुरुष में बांटे जा सकते हैं।
स्त्री और पुरुष का विभाजन केवल यौन-विभाजन, सेक्स डिवीजन नहीं है। लाओत्से के हिसाब से स्त्री और पुरुष का विभाजन जीवन की डाइलेक्टिस है, जीवन का जो द्वंदात्मक विकास है, जो डाइलेक्टिकल एवोल्यूशन है, उसका अनिवार्य हिस्सा है।
शरीर के तल पर ही नहीं, स्त्री और पुरुष मन के तल पर भी भिन्न हैं। अस्तित्व जिन-जिन अभिव्यक्तियों में प्रकट होता है, वहां-वहां
स्त्री और पुरुष का भेद होगा। लेकिन जो बात ध्यान रखने जैसी है लाओत्से को समझते समय, वह यह है तक पुरुष अस्तित्व का
क्षणिक रूप है और स्त्री अस्तित्व का शाश्वत रूप है। जैसे सागर में लहर उठती है। लहर का उठना क्षणिक है। लहर नहीं थी, तब भी
सागर था; और लहर नहीं होगी, तब भी सागर होगा। स्त्रैणता अस्तित्व का सागर है। पुरुष का अस्तित्व क्षणिक है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
All dimensions of existence can be divided into feminine and male.
The division of man and woman is not just sex division, sex division. According to Laotse, the division of man and woman is the dialectis of life, the dialectical development of life, which is the essential part of dialectical evolution.
Not only at the bottom of the body, men and women are also different at the bottom of the mind. The expressions in which the existence appears
There will be a difference of man and woman. But the thing which is like to keep in mind while understanding Lao Tzu, is that till the existence of male Is the transient form and the eternal form of feminine existence. As a wave rises in the ocean. The rise of the wave is momentary. Even when there was no wave
Was the ocean; And there will be no wave, even then there will be ocean. Femininity is the ocean of existence. Man's existence is transitory.
"Osho Tao Upanishad"
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