Snehdeep Osho Vision

 खासकर यहूदी परंपराएं, ज्यूविश परंपराएं–यहूदी, ईसाई और इस्लाम, तीनों ही ज्यूविश परंपराओं का फैलाव हैं–उन्होंने जगत को एक बड़ी भ्रांत धारणा दी, गॉड दि फादर। वह धारणा बड़ी खतरनाक है। पुरुष के मन को तृप्त करती है, ‍क्योंकि पुरुष अपने को प्रतिष्ठित पाता है परमात्मा के रूप में। लेकिन जीवन के सत्य से उस बात का संबंध नहीं है। ज्यादा उचित एक जागतिक मां की

धारणा है। पर वह तभी खयाल में आ सकेगी, जब स्त्रैण रहस्य को आप समझ लें, लाओत्से को समझ लें। अन्यथा समझ में न आ सकेगी।

कभी आपने देखा है काली की मूर्ति को ? वह मां है और विकराल! मां है और हाथ में खप्पर लिए है आदमी की खोपड़ी का! मां है, 

उसकी आंखों में सारे मातृत्व का सागर। और नीेेचे ? नीेेचे वह किसी की छाती पर खड़ी है। पैरों के नीेेचे कोई दबा है। ‍क्योंकि जो 

सजृनात्मक है, वही विध्वंसात्मक होगा। क्रिएटिविटी का दूसरा हिस्सा डिस्ट्र‍क्शन है। इसलिए बड़ी खूबी के लोग थे, जिन्होंने यह सोेचा ! बड़ी इमेजिनेशन के, बड़ी कल्पना के लोग थे। बड़ी संभावनाओं को देखते थे। मां को खड़ा किया है, नीेेचे लाश की छाती पर खड़ी है। 

हाथ में खोपड़ी है आदमी की, मुर्दा । खप्पर है, लहू टपकता है। गले में माला है खोपडिओं की। और मां की आंखे हैं और मां का हृदय

है, जिनसे दूध बहे । और वहां खोपडियों की माला टंगी है! असल में, जहां से सृष्टि पैदा होती है, वहीं प्रलय होता है। सर्किल पूरा वहीं होता है। इसलिए मां जन्म दे सकती है। लेकिन मां अगर विकराल हो जाए , तो मृत्यु भी दे सकती है। और स्त्री अगर विकराल हो, तो बहुत खतरनाक हो जाती है। शक्ति उसमें बहुत है। शक्ति तो वही है, वह चाहे क्रिएशन बने और चाहे डिस्ट्र‍क्शन बने। शक्ति तो वही है, चाहे सजृन हो, चाहे विनाश हो। जिन लोगों ने मां की धारणा के साथ सृष्टि और विनाश, दोनों को एक साथ सोेचा था, उनकी दूरगामी कल्पना है। लेकिन बड़ी गहन और सत्य के बड़े निकट !

लाओत्से कहता है, स्वर्ग और नर्क का मूल स्रोत वहीं है। वहीं से सब पैदा होता है। लेकिन ध्यान रहे, जो मूल स्रोत होता है, वहीं सब चीजें लीन हो जाती हैं। वह अंतिम स्रोत भी वही होता है।

―यह सर्वथा अविच्छिन्न है।’

यह जो स्त्रैण अस्तित्व है, यह जो पैसिव अस्तित्व है, यह जो प्रतीऺक्षा करता हुआ शून्य अस्तित्व है, इसमें कभी कोई खंड नहीं पड़ते।

अविच्छिन्न है, कंटीन्युअस है, इसमें कोई  डिस्कन्टीन्यूटी नहीं होती। जैसा मैंने कहा, दीया जलता है, बुझ जाता है; अंधेरा अविच्छिन्न है। जन्म आता है, जीवन दिखता है; मृत्यु अविच्छिन्न है। वह चलती चली जाती है। पहाड़ बनते हैं, मिट जाते हैं; घाटियाँ अविच्छिन्न हैं। पहाड़ होते हैं, तो वह दिखाई पड़ती हैं; पहाड़ नहीं होते, तो वह दखाई नहीं पड़तीं। लेकिन उनका होना अविच्छिन्न है।

―सर्वथा अविच्छिन्न है। इसकी शक्ति अखंड है।’

"ओशो ताओ उपनिषद"


In particular, Jewish traditions, Jewish traditions — Judaism, Christianity, and Islam — all three are the spread of Jewish traditions — they gave the world a big misconception, God the Father.  That perception is very dangerous.  Satisfies the man's mind, because man finds himself distinguished as divine.  But that is not related to the truth of life.  More appropriate for a worldly mother

 Perception.  But she will be able to think only when you understand the feminine mystery, understand Lao Tzu.  Otherwise you will not be able to understand.

 Have you ever seen the idol of Kali?  She is a mother and a giant!  She has a mother and has a man's skull in her hand!  Is mother

 The ocean of motherhood in his eyes.  And down?  She is standing on someone's chest.  Somebody is under the feet.  Because who

 It is destructive, the same will be subversive.  The second part of creativity is destitution.  So there were people of great merit who thought this!  There were people of great imagination, of great imagination.  He saw great possibilities.  Raised the mother, Necheche is standing on the chest of the corpse.

 The skull in the hand is a man's dead.  It is tattered, blood dripping.  There is a garland around the neck of skulls.  And mother's eyes and mother's heart

 Is from whom milk flows.  And there hangs the garland of skulls!  Actually, from where the creation is born, there is a holocaust.  The circle is all there.  Therefore the mother can give birth.  But if the mother becomes severe, she can also die.  And if the woman is gigantic, then it becomes very dangerous.  There is a lot of power in that.  Shakti is the same, whether it be a creation and a destiny.  The power is the same, whether it is fragrance or destruction.  Those who thought both creation and destruction together with the notion of mother have far-reaching imagination.  But very deep and very close to the truth!

 The original source of heaven and hell is there, says Lao Tzu.  Everything arises from there.  But keep in mind, whatever is the original source, everything gets absorbed there.  That last source is also the same.

 ―It is completely unquenchable. '

 This is a feminine existence, this is a passive existence, this is a zero existence waiting, there are no clauses in it.

 It is continuous, continuous, there is no discontinuity.  As I said, the lamp burns out;  Darkness is uninterrupted.  Birth comes, life is seen;  Death is uninterrupted.  She goes on walking.  Mountains form, disappear;  The valleys are unbroken.  If there are mountains, they are visible;  If there were no mountains, they would not be seen.  But their existence is uncontested.

 Sarvatha is uninterrupted.  Its power is unbroken. '

 "Osho Tao Upanishad"



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