एक बहुत हैरानी की बात मैं कभी-कभी पढ़ता रहा हूं। कभी मेरे खयाल में नहीं आती थी कि बात क्या होगी। कैथोलिक प्रीस्ट के
सामने लोग अपने पापों की स्वीकृतियां करते हैं, कन्फेशन करते हैं। अनेक कैथोलिक पुरोहितों का यह अनुभव है कि जब स्त्रियां उनके सामने अपने पापों की स्वीकृत करती हैं, तो स्वभावतः वे भी मनुष्य हैं और केवल ट्रेंड प्रीस्ट हैं।
ईसाइत ने एक दुनियां को बड़े से बड़ी जो बुरी बात दी है, वह यह, प्रशिक्षित पुरोहित दिए । कोई प्रशिक्षित पुरोहित नहीं हो सकता।
प्रशिक्षित डॉक्टर हो सकते हैं, प्रशिक्षित वकील हो सकते हैं, लेकिन प्रशिक्षित पुरोहित नहीं हो सकता; उसी तरह, जैसे प्रशिक्षित पोएट , कवि नहीं हो सकता। और अगर आप कविता को सिखा दें और ट्रेनिंग दे दें और सर्टिफिकेट दे दें कि यह आदमी ट्रेंड है कविता में, तो वह सिर्फ तुकबंदी करेगा। कविता उससे पैदा नहीं हो सकती। पुरोहित भी जन्मजात क्षमता है, साधना का फल है। उसे कोई प्रशिक्षित नहीं कर सकता। लेकिन ईसाइयत ने प्रशिक्षित की । ट्रेंड पुरोहित हैं, उनके पास डिग्रियां हैं , वे उनमें कोई डी.डी. है, डॉक्टर ऑफ डिविननटी है। डॉक्टर ऑफ डिविननटी कोई नहीं होता, क्योंकि सर्टिफिकेट पर जो डिविननटी तय हो जाएगी, वह डिविननटी नहीं हो सकती है। वह क्या दिव्यता होगी जो एक स्कूल-सर्टिफिकेट देने से तय हो जाती हो!
तो पुरोहित के पास जब स्त्रियां अपने पापों का कन्फेशन करती हैं, तो यह कन्फेशन बहुत टेंपटिंग हो जाता है। स्वाभाविक! जब कोई स्त्री अपने पाप का स्वीकार करती है, और एकांत में करती है, तो पुरोहित के लिए बड़ी बेचैनी हो जाती है। स्त्री तो हलकी हो जाती है, पुरोहित भारी हो जाता है। लेकिन कैथोलिक पुरोहितों का एक वक्तव्य मुझे सदा हैरान करता था, वह यह कि विधवा स्त्रियां ज्यादा आकर्षक और टेंपटिंग सिद्ध होती हैं। मैं बहुत हैरान था कि यह क्या कारण होगा ?
असल में, विधवा अगर सच में विधवा हो, तो उसके सौंदर्य में बहुत बढ़ती हो जाती है। क्योंकि प्रतीक्षा उसके स्त्रैण रहस्य को गहन
कर देती है। कुंवारी लड़की में जो रहस्य होता है, वह प्रतीऺक्षा का है। इसलिए सारी दुनियां में जो समझदार कौमें थीं, उन्होंने तय किया की कुंवारी लड़की से ही विवाह करना। क्योंकि सच तो यह है कि जो लड़की कुंवारी नहीं है, उससे विवाह करने का मतलब है कि आपको स्त्री के रहस्य को जानने का मौका ही नहीं मिलेगा। वह रहस्य पहले ही खंडित हो चुका। वह स्त्री छिछली हो गई। उसने प्रतीऺक्षा ही नहीं की है इतनी, जितनी प्रतीऺक्षा पर वह भीतर का पूरा का पूरा रहस्यमय पूरा खिलता है।
इसलिए जिन समाजों ने स्त्री के कुंवारे रहने पर और विवाह पर जोर दिया, उन्होंने पुरुष के कुंवारेपन की बहुत फिक्र नहीं की है।
उसका कारण है कि पुरुष के कुंवारेपन या न कुंवारेपन से कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन स्त्री के कुंवारेपन से फर्क पड़ता है। कुंवारी स्त्री में एक सौंदर्य है जो विवाह के बाद उसमें खो जाता है। वह सौंदर्य उसमें फिर से जन्मता है, जब वह मां बनना शुरू होती है। क्योंकि अब वह एक और बड़े रहस्य के दुनिया पर, और एक और बड़ी प्रतीऺक्षा के द्वार पर खड़ी हो जाती है। उसे गर्भवती देख कर पति चिंतित हो सकता है। और पति चिंतित होते हैं। और उनकी चिंता स्वाभाविक है। क्योंकि उनके लिए प्रतीऺक्षा नहीं, केवल एक और इकोनॉमिक, एक आर्थिक उपद्र्व उनके ऊपर आने को है। लेकिन मां मधुर हो जाती है। असल में, मां का गर्भ जैसे बढ़ने लगता है, उसकी आंखों की गहराई बढ़ने लगती है; उसके शरीर में नए कोमल तत्व का आविर्भाव होता है। गर्भिणी स्त्री का सौंदर्य स्त्रैण रहस्य से बहुत भारी हो जाता है। यह क्या होगा रहस्य ?
यह पैसिविटी इज़ दि सीक्रेट । अब मां बनने के लिए कुछ उसे करना तो पड़ता नहीं। बेटा उसके पेट में बड़ा होने लगता है; उसे सिर्फ प्रतीऺक्षा करनी होती है। उसे कुछ भी नहीं करना होता। असल में, उसे सब करना छोड़ देना होता है; सिर्फ प्रतीऺक्षा ही करनी होती है।
जैसे-जैसे उसके बेटे का या उसकी बेटी का, उसके गर्भ का विकास होने लगता है, वैसे-वैसे सब काम उसे छोड़ देना पड़ता है। वह सिर्फ प्रतीऺक्षा में रह जाती है, वह सिर्फ स्वप्न देखने लगती है। इसलिए अगर सारा काम स्त्री छोड़ दे बच्चे के जन्म के करीब, तो वह वे स्वप्न देख सकती है, जो उसके बच्चे के भविष्य की सूचना होंगे। इसलिए महावीर या बुद्ध की मां के स्वप्न बड़े मूल्यवान हो गए ।
महावीर या बुद्ध के संबंध में कहा जाता है कि जब वे पैदा हुए , तो उनकी मां ने स्वप्न देखे। वे स्वप्न रोज मां के सामने प्रकट होते गए । उन स्वप्नों में बुद्ध या महावीर के जीवन की सारी रूप-रेखा प्रकट हो गई।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Surprisingly, I have been reading occasionally. I never thought about what would happen. Catholic Priest's
In front, people confess their sins, confession. Many Catholic priests have the experience that when women confess their sins to them, by nature they are also human beings and only trend priests.
The worst thing that Christianity has given to a world, he gave this, trained priest. No trained priest can be.
There may be trained doctors, trained lawyers, but not trained priests; In the same way, as trained Poet, one cannot be a poet. And if you teach poetry and give training and give a certificate that this man is trending in poetry, then he will only rhyme. Poetry cannot be born from it. The priest is also an innate ability, the fruit of spiritual practice. No one can train him. But Christianity trained. Trend are priests, they have degrees, they have no D.D. Is, Doctor of Divinity. Nobody is a doctor of divinity, because the divinity that will be decided on the certificate cannot be divinity. What will be the divinity that is decided by giving a school-certificate!
So when women confess their sins to the priest, this confession becomes very temperate. Natural! When a woman confesses her sin, and does it in solitude, there is great uneasiness for the priest. The woman becomes light, the priest becomes heavy. But one statement of Catholic priests always surprised me, that widowed women proved more attractive and temperate. I was very surprised what would be the reason?
In fact, if the widow is truly a widow, her beauty grows immensely. Because the wait deepens her feminine secret
She does it. The secret that a virgin girl has is that of waiting. That's why the sensible women in the whole world decided to marry a virgin girl. Because the truth is that marrying a girl who is not a virgin means that you will not get a chance to know the secret of the woman. That mystery has already been broken. That woman became shallow. He has not only waited so much, on the wait, he blossoms the whole mysterious inside.
Therefore, the societies which insisted on the woman being single and married, have not cared much about the virility of the man.
The reason for this is that there is no difference between male virility or virility. But the virginity of a woman makes a difference. There is a beauty in a virgin woman who gets lost in it after marriage. That beauty is born again in her, when she begins to become a mother. Because now she stands on the world of another big mystery, and on the door of another big wait. The husband may be worried to see her pregnant. And husbands are worried. And their concern is natural. Because there is no waiting for them, only one more economic, one economic nuisance. But the mother becomes sweet. In fact, as the mother's womb grows, the depth of her eyes begins to grow; A new soft element appears in his body. The beauty of the pregnant woman becomes very heavy with the feminine mystery. What will be the secret?
This is the secret is the secret. Now she does not have to do anything to become a mother. The son grows up in his stomach; He just has to wait. He doesn't have to do anything. Actually, he has to stop doing everything; Only waiting is required.
As her son or her daughter develops her womb, all the work has to be abandoned. She just remains waiting, she just starts dreaming. So if the woman leaves all the work close to the birth of the child, then she can see the dreams, which will be the information about the future of her child. Hence the dreams of the mother of Mahavira or Buddha became very valuable.
It is said in relation to Mahavira or Buddha that when he was born, his mother dreamed. Those dreams were revealed daily to the mother. In those dreams, the whole outline of the life of Buddha or Mahavira was revealed.
"Osho Tao Upanishad"
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