सवाल पूछा है: कि लाओत्से अगर कहता है, कुछ न करो, तो पुरुषार्थ का क्या होगा?
क्या तुम समझते हो, कुछ न करना कोई छोटा-मोटा पुरुषार्थ है?
कुछ न करना इस जगत में सबसे बड़ा पुरुषार्थ है। न करने की ताकत इस जगत में सबसे बड़ी मालकियत है। करना तो बच्चे भी कर लेते हैं। करने में कोई बड़ा पुरुषार्थ नहीं है। करना तो बिलकुल सहज, साधारण सी घटना है। जानवर भी कर रहे हैं। न करना तो
बहुत बड़ी बात है। तो यह मत सोेचना कि लाओत्से जब कहता है कि न करो, इन- एक्टिविटी, तो इससे तो पुरुषार्थ खतम हो जाएगा।
समर्पण जो है, वह सबसे बड़ा संकल्प है। अब यह बहुत उलटा, खयाल में आता नहीं है न हमें। हमें लगता है कि समर्पण, किसी के
चरणों में सिर रख देना, तो हम तो मिट गए । लेकिन पता है कि किसी के चरणों में सिर रखना साधारण आदमी की हैसियत की बात नहीं है! और किसी के चरणों में सचमुच सिर रख देना, पूरी तरह अपने को छोड़ देना, उसकी ही सामर्थ्य की बात है जो पूरी तरह
अपना मालिक हो। छोडोगे कैसे ? सिर पैर रख देने से थोड़े ही रख जाता है ! इतनी मालकियत भीतर हो कि कह सके कि ठीक, छोड़ते हैं पूरा । लेकिन छोड़ेगा कौन ? आप छोड़ सकते हैं ? जो क्रोध नहीं छोड़ सकता, जो सिगरेट पीना नहीं छोड़ सकता, वह पूरा छोड़ देगा स्वयं को ?
एक मित्र ने पूछा है कि आप कहते हैं कि कोई चीज पूर्ण नहीं हो सकती। तो फिर शून्य की पूर्णता भी कैसे मिलेगी ?
शून्य की पूर्णता आपको अगर पानी होती, तब तो वह भी न मिल सकती। वह है! वह है! आप फिर भरने का उपाय न करें , आप
अचानक पाएंगे कि आप शून्य हैं। पूर्णता तो इस जगत में कोई भी नहीं हो सकती। आदमी के किए कुछ भी नहीं हो सकती।
"ओशो ताओ उपनिषद"
The question is asked: If Lao Tzu says, do nothing, what will happen to the effort?
Do you understand that doing nothing is a small effort?
Doing nothing is the biggest effort in this world. The power not to do is the biggest asset in this world. Children do it if they do. There is no great effort to do. To do is a very simple, simple event. There are also animals. If not
It is a very big deal. So do not think that when Lao Tzu says not to do in-activity, it will end the effort.
Surrender is the greatest determination. Now this is very perverse, does not come to our attention or us. We feel that dedication, someone's
Putting our heads in feet, then we have disappeared. But know that it is not a matter of the status of an ordinary man to keep a head at one's feet! And to truly lay one's head at one's feet, to give up completely, it is a matter of his strength which is completely
Be your own boss How will you leave? The head keeps only a few feet. There is so much wealth inside that you can say that right, leave it complete. But who will leave? Can you leave? The one who cannot give up anger, the one who cannot stop smoking cigarettes, will give up himself completely?
A friend has asked that you say that nothing can be complete. Then how will the perfection of the void be achieved?
If you had water, you could not get it even if you had perfection of zero. He is! He is! You don't try to fill it again, you
You will suddenly find that you are zero. There can be no perfection in this world. Nothing can be done by a man.
"Osho Tao Upanishad"
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