Snehdeep Osho Vision

 पुराने युगों में यह नियमित व्यवस्था थी कि गुरु अगर देखता कि कोई तर्क करने आ गया, तो उसे उस जगह भेज देता, जहां तर्क ही चलता था। ताकि किह तर्क से थक जाए , परेशान हो जाए । और इतना ऊब जाए कि एक दिन आकर वह कहे कि यह तर्क बहुत कर लिया, कुछ मिला नही; अब कोई ऐसी बात कहें, जिससे कुछ हो जाए।

तब लाओत्से जैसे आदमी बोलते हैं।

समझ का अर्थ है, आपके भीतरी तल तक पहुंच जाए कोई बात। लेकिन तर्क कभी न पहुँचने देगा। और हम तर्क से ही समझना 

चाहते हैं। और तर्क ही उपद्रव है; वही पहरेदार है। वह कहता है, पहले मुझे समझाओ। अगर मुझे समझाओ, तो मैं मालिक से मिला दूँ। और अगर मुझे ही नहीं समझा पाते हो, तो मैं मालिक से ‍क्या मिलाऊं ? और फिर कठिनाई यह है कि जब वह समझ जाता है, तो वह समझता है, समझ गए , मालिक हो गए । जैसे मैं जो ध्यान का प्रमोग करता हूं, वह बिलकुल बुद्धिहीन है। तो बुद्धिमान उसको देख कर ही भाग जाएगा। वह कहेगा, यह ‍क्या

हो रहा है कि लोग नाच रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, कूद रहे हैं। पागल हैं! लेकिन जो आदमी नाच रहा है, कूद रहा है, वह बुद्धि के तल से

नीचे उतर गया। ‍क्योंकि बुद्धि तो सेंसस का काम करती है। वह कहती है, ‍क्यों हंस रहे हो? अभी कोई हंसने की बात ही नहीं। पहले हंसने की बात तो होने दो, फिर हंसना। कहती है, ‍क्यों रो रहे हो ? अभी कोई रोने की बात ही नहीं। ‍क्यों कूद रहे हो? कोई जमीन में आंच लगी है, आग लगी है कि तुम कूद रहे हो! ये ‍क्यों घूंसे तान रहे हो हवा में ? पहले किसी को गाली देने दो, फिर घूंसा उठाना। बुद्धि पूरे समय यह कह रही है कि जो तुम कर रहे हो, वह तर्कयुक्त हो। लेकिन जिंदगी में कभी भी कुछ तर्कयुक्त किया है ? जब किसी से प्रेम हो जाएगा, तब बुद्धि कहां होगी? और जब किसी से क्रोध हो जाएगा, तब बुद्धि कहां होगी ? और जब किसी को मारने का मन हो जाएगा या मरने का मन हो जाएगा, तब बुद्धि कहां होगी ? तो जिंदगी की जहां असली जरूरतें हैं, वहां तो बुद्धि होगी नहीं। और उन गहरे बिंदुओं तक आप कभी  उतर न पाएंगे, बुद्धि की बात मान कर चलेंगे तो। ध्यान के सब प्रयोग आपकी बुद्धि की पर्त को तोड़ने के प्रयोग हैं! वह आपकी एक दफा पर्त टूट जाए , तो आप कदम सरल हो जाते हैं। और जब आप सरल हो जाते हैं, तो आपके पास एक अंतर्दृष्टि होती है,जहां से चीजें साफ दिखाई पड़ती हैं। तब यह सवाल कभी नहीं उठता कि मेरी समझ में आ गया क्रांति नहीं हुई। समझ में आ जाना ही क्रांति है। टु नो इज़ टु बी ट्रांसफामर्ड ।  नालेज इज़

ट्रांसफार्मेशन। मह सवाल फिर नहीं उठता।


"ओशो ताओ उपनिषद"


In the old ages, it was a regular system that if the Guru had seen that someone had come to argue, he would have sent him to the place where the argument used to go.  So that he gets tired of arguments, gets upset.  And get so bored that one day he will say that he has done this argument a lot, nothing has been found;  Now say something that will happen.

 Then men like Laotse speak.

 Understanding means that something reaches your inner plane.  But logic will never reach.  And we understand rationally

 Want to  And logic itself is a nuisance;  He is the watchman.  He says, first let me explain.  If I explain, then I meet the owner.  And if I can not convince myself, what should I do with the owner?  And then the difficulty is that when he understands, he understands, understood, became the master.  Just like the meditation that I use, it is totally brainless.  So the wise man will run away after seeing it.  What will he say

 It is happening that people are dancing, screaming, jumping.  Are crazy  But the man who is dancing, jumping, from the bottom of the intellect

 Got down  Because the intellect works as a census.  She says, why are you laughing?  There is no laughing matter right now.  Let me laugh first, then laugh.  Why are you crying?  There is no reason to cry right now.  Why are you jumping?  Someone is burning in the ground, you are jumping on fire!  Why are these punches in the air?  First let someone abuse you, then take a punch.  The intellect is saying the whole time that what you are doing is logical.  But have you ever done anything rational in life?  When someone falls in love, where will the intellect be?  And when someone becomes angry, where will the intellect be?  And when there is a desire to kill someone or will feel like dying, then where is the wisdom?  So where there are real needs of life, there will be no intelligence.  And you will never get down to those deep points, if you follow the wisdom.  All the uses of meditation are experiments to break the layer of your intellect!  If it breaks your layer once, then the steps are simple.  And when you become simple, you have an insight from where things are clearly visible.  Then the question never arises that I understood that revolution did not happen.  To be understood is revolution.  To Know Is To Be Transformed.  Knowledge is

 Transformation.  The great question does not arise again.


 "Osho Tao Upanishad"



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