लाओत्से जैसे लोग सत्य को कोई मृत इकाई नहीं मानते, कोई डेड यूनिट नहीं मानते। डायनेमिक ,लिविंग फोर्स मानते हैं। एक जीवंत प्रवाह है। तो उनके सब इशारे जीवंत हैं। उनका हाथ उठाता ही चला जाता है।
कितना ! इस कितने में कहीं सीमा नहीं बनती; यह कितना सब इतनों के पार चला जाता है। और एक डेप्थ और एक इशारा जो सदा ट्रांसेंट करता है शब्द को। महावीर जब कहते हैं अनंत-अनंत, तब भी उस शब्द में इतना ट्रांसेंडेंस नहीं है, जितना लाओत्से कहता है, कितना! ट्रांसेंडेंस और भी ज्यादा है, अतिक्रमण और भी ज्यादा है। क्योंकि महावीर अनंत शब्द को फिर से दोहरा देते हैं: अनंत-अनंत!
लेकिन शब्द फिर फिक्स्ड सा हो जाता है। शब्द की ध्वनि भी फिक्स्ड हो जाती है; एक सीमा बन जाती है। ऐसा लगता है कि शब्द
की सीमा है, परिभाषा है; समझ पाएंगे। लेकिन जब कोई कहता है, कितना अथाह! तो वह कितना जो है, उसकी कोई सीमा नहीं बनती।
लाओत्से कहता है, ―कितना गंभीर, कितना अथाह, मानो यह सभी पदार्थों का उदगम हो।
वह भी कहता है मानो, इज इफ़। सत्य को जिन्हें बोलना है, उन्हें एक- एक पांव सम्हाल कर रखना होता है। वह यह नहीं कहता कि
सभी पदार्थों की जननी है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
People like Laotse do not consider truth as a dead unit, no dead unit. Dynamic, living force assumes. A lively
Flow. So all their gestures are alive. He goes on raising his hand.
How much ! There is no limit in this number; It goes beyond all this. And a depth and a gesture that always transports the word. When Mahavira says Anant-Anant, even then there is not so much transcendence in that word, as Laotse says, how much! Transcendence is more, transgression is more. Because Mahavira repeats the word Anant again: Anant-Anant!
But the word becomes fixed again. The sound of the word is also fixed; A boundary is created. It seems that the word
Is the limit of, is the definition of; Will be able to understand But when someone says, how unfathomable! So no matter how much he is, there is no limit.
Lao Tzu says, how serious, how immeasurable, as if it were the origin of all things.
He also says as if this is it. Those who have to speak the truth, have to maintain one foot each. He does not say that
Is the mother of all things.
"Osho Tao Upanishad"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें