Snehdeep Osho Vision

अहंकार का अर्थ है, हम उसके अहंकार को दूसरे लोगों के अहंकार की प्रतियोगिता में खड़ा कर दें। 
यह प्रथम होने की कोशिश हमारा जहर है। वस्त्र पहनते हों तो, ‍व्यवहार करते हों तो, शिक्षित होते हों तो, धन कमाते हों तो–कुछ भी
करते हों–पूजा और प्रार्थना करते हों तो, त्याग और तप करते हों तो, निरंतर यह खयाल रखना है की मैं किन्हीं और की तुलना में
सोेचा जा रहा हूं। सदा मुझे यह देखना है की दूसरों को देखते हुए मैं कहां खड़ा हूं ? पंक्ति में मेरा स्थान ‍क्या है ? मैं पीछे तो नहीं हूं ? अगर मैं पीछे खड़ा हूं, तो पीड़ा फलित होगी। अगर मेरे पीछे लोग खडे हैं, तो मैं प्रफुल्लित हूं। जो प्रफुल्लित होते हैं, वे भी तभी
प्रफुल्लित होते हैं, जब वे दूसरों को पीछे करने का दुःख दे पाते हैं। अन्यथा उनकी प्रफुल्लता नहीं है। और पृथ्वी इतनी बड़ी है कि कोई
कभी बिलकुल आगे नहीं हो पाता। और जीवन इतना जटिल है की इसमें प्रथम होने का कोई उपाय नहीं है। जटिलता अनेक मुखी है।
जीवन है बहुमुखी, मल्टी डायमेंशन; और हर दिशा में मुझे प्रथम होना है। आदमी अगर पागल न हो जाए – और कोई उपाय नहीं है। जो पागल नहीं हो पाते, वे चमत्कार हैं। यह पूरा का पूरा ढांचा पागल करने वाला है। जहां भी हम खडे हैं, वहीं पीड़ा होगी–आगे किसी को हम पाएंगे कि कोई आगे खड़ा है। महत्वकांशा का अर्थ है, कभी यह मत सोेचा कि तुम कौन हो, सदा यह सोेचा कि तुम दूसरे  की तुलना में कौन हो। सीधे कभी
स्वयं को मत देखना, सदा तुलना में, कंपेरिजन में देखना। कभी यह मत देखना कि तुम कहां खडे हो; वहां सुख है या नहीं, इसे मत 
देखना। तुम सदा यह देखना की तुम दूसरे लोगों के मुकाबले कहां खड़े हो! दूसरे लोग तुमसे ज्यादा सुख में तो नहीं खड़े हैं ! यह भी
फिक्र मत करना की तुम दुःख में खड़े हो; सदा यह देखना की दूसरे लोग अगर तुमसे ज्यादा दुःख में खड़े हों, तो कोई हर्जा नहीं, तुम
प्रसन्न हो सकते हो।
लाओत्से कहता है, ‘यदि योग्यता की पद-मर्यादा न बढ़े , तो न विग्रह हो, न संघर्ष ।’
लाओत्से कहता है, योग्यता को पद ‍क्यों बनाएं हम ? योग्यता को स्वभाव ‍क्यों न मानें!
"ओशो ताओ उपनिषद "

Ego means we should make his ego in competition with other people's ego.
 Trying to be this first is our poison.  If you wear clothes, if you behave, you are educated, you earn money - whatever
 If you worship - pray and pray, if you sacrifice and meditate, then you have to keep in mind that I am more than anyone else
 Thinking  I always have to see where I stand while looking at others.  What is my location in a row?  I'm not behind  If I stand back, the pain will result.  If people stand behind me, I am cheerful.  Only those who are cheerful
 They are elated when they are able to hurt others.  Otherwise they are not cheerful.  And the Earth is so big that someone
 Can never get ahead at all.  And life is so complicated that there is no way to be first in it.  Complexity is many challenges.
 Life is versatile, multi dimension;  And I have to be first in every direction.  If a man does not go mad - there is no other way.  Those who are not mad are miracles.  The whole structure is crazy.  Wherever we stand, there will be pain - we will find that someone is standing ahead.  Significance means, never think who you are, always think who you are compared to others.  Straight away
 Do not look at yourself, always look at the comparison.  Never see where you stand;  Whether there is happiness or not
 To see.  Always see where you stand compared to other people!  Other people are not standing in more happiness than you!  This also
 Do not worry that you are standing in sorrow;  Always see that if other people stand in more sorrow than you, then no harm, you
 You can be happy.
 Lao Tzu says, "If the rank of merit does not increase, then there is no deity, nor struggle."
 Lao Tzu says, why should we rank the merit?  Why not consider merit as nature!
"Osho Tao Upnishad"

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