महत्वकांक्षा का जहर और जीवन व्यवस्था -निष्क्रिय कर्म
मनुष्य को बड़ा करने की हमारी जो व्यवस्था है, वह जडों को काटने वाली है। इसलिए जितने लोग हमें दिखाई पड़ते हैं जमीन पर, वे
बालिश्त भर ऊंचे उठ पाए । वे लोग आकाश को भी छू सकते थे। जहर हम जडों में डाल देते हैं। इस जहर के लिए ही लाओत्से ने कुछ बातें कही हैं। मनुष्य के मन में जो जहर सबसे ज्यादा डाला गया है, वह महत्वकांक्षा का, एंबीशन का है। हमारी सारी समाज की व्यवस्था महत्वकांक्षा पर खडी है।
यदि योग्यता को पद-मर्यादा न मिले, तो न तो विग्रह हो और न संघर्ष। यदि दुर्लभ पदार्थो को महत्व नहीं दिया जाए ,तो लोग दस्युवृति से भी मुक्त रहें।
यदि उसकी ओर, जो स्पृहणीय है, उनका ध्यान आकर्षित न किया जाए , तो उनके हृदय अनुद्विग्न रहें।
ओशो ताओ उपनिषद
Poison and life system of ambition - passive karma
Our system of raising man is going to cut roots. So as many people as we can see on the ground, they. He was able to rise high all over. They could also touch the sky. We put poison in the roots. Laotse has said some things about this poison itself. The poison that has been injected into the human mind the most is ambition, ambition. The whole system of our society stands on ambition.
If the qualification does not get the status-limit, then neither the Deity nor the struggle. If rare substances are not given importance, then people should also be free from dasudra.
If his attention is not drawn to his attention, his heart should be attuned.
Osho Tao Upanishad
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