Snehdeep Osho Vision

लाओत्से कहता है, जब अक्रियता की ऐसी अवस्था उपलब्ध हो जाए , तो जो सु‍व्यवस्था, तब जो आर्डर, तब जो अनुशासन निर्मित होता है, वह सार्वभौम है, वह यूनिवर्सल है। उसका फिर अपवाद नहीं होता।
तीन बातें हैं। एक तो ज्ञान अक्रियता की अवस्था है। करने का उतना सवाल नहीं, जीतना जानने का है। डूइंग की उतनी बात नहीं, 
जितनी बीइंग की है। 
शांत झील के क्षण में जीवन से सब अ‍वस्था अपने आप गिर जाती है। उसे ‍व्यवस्थित नहीं करना होता, वह गिर जाती है। वह जो-जो गलत था, छूट जाता है; उसे छोड़ने के लिए प्रयास नहीं करना पड़ता। वह जो जीवन में लगता था अशुभ है, वह अचानक पाया जाता है कि नहीं है। जैसे किसी ने अंधेरे में दीया जला दिया हो, और अंधेरा नहीं है। उस अंधेरे को निकालना नहीं पड़ता, धकाना नहीं 
पड़ता, हटाना नहीं पड़ता। बस दीया जल गया, और वह अंधेरा नहीं है। यह जो सु‍व्यवस्था है, यह और है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Lao Tzu says, when such a state of inactivity becomes available, then the system, then the order, then the discipline that is created, is universal, it is universal.  There is no exception to that.
 There are three things.  One is a state of inertia.  There is not much question to do, winning is about knowing.  Not much about doing,
 As much as being.
 At the moment of the calm lake, all the conditions of life fall on their own.  She does not have to settle, she falls.  Whatever was wrong is left;  He does not have to make an effort to leave.  The one who seemed in life is inauspicious, it is suddenly found that it is not.  Like someone has lit a lamp in the dark, and there is no darkness.  Don't have to remove that darkness, don't push
 It does not have to be removed.  The lamp is lit, and it is not dark.  This is the system, it is another.
 "Osho Tao Upanishad"

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