Snehdeep Osho Vision

लाओत्से को अगर समझना है, तो आपको समझना पड़ेगा, लाओत्से कहता है, इच्छा संसार है। सांसारिक इच्छाएं नहीं होतीं, 
इच्छा में होना ही संसार में होना है। ऐसा नहीं है कि कुछ इच्छाएं ऐसी भी हैं कि उनके द्वारा कोई आदमी मुक्त हो जाए । ‍क्योंकि
लाओत्से कहता है, इच्छा ही बंधन है। वह कोई भी इच्छा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। इच्छा की ‍क्वालिटी में, गुण में कोई भेद
नहीं होता।
लाओत्से कहता है, ज्ञानी लोगों को इच्छादि से मुक्त करते हैं। उसका अर्थ है की वे उनको तनाव से मुक्त करते हैं। ज्ञानी कहते हैं, 
अभी रहो–अभी, यहीं। कल को भूल जाओ। कल के धन को भी, कल के धर्म को भी, कल के यश को भी, कल के प्रभु को भी। ‍क्योंकि अगर कल कुछ भी तुम्हारा है, तो इच्छा रहेगी, और तुम तने रहोगे। और तुम तने रहोगे और इच्छा बनी रहेगी, तो तुम बंधे रहोगे–
अशांत, पीड़ित, परेशान। लाओत्से कहता है, इच्छादि से। इच्छाओं में कोई विष्लेषण नहीं करता की कौन सी इच्छाओं से।
अगर आप साधारण धर्मग्रंथ पढ़ने जाएंगे, तो तत्काल फासला किया जाता है कि किन इच्छाओं से मुक्त हो जाओ–बुरी इच्छाओं से !
अच्छी इच्छाओं से भर जाओ। सांसारिक इच्छाएं छोड़ दो; पारलौकिक इच्छाओं को निमंत्रण करो। इस जगत में पाने का इरादा छोड़ दो; यहां कुछ न मिलेगा। अगर पाना है, तो परलोक में ! बल्कि ये सारे के सारे लोग जो इस तरह की बातें समझाते हुए रहते हैं, ये बड़े मजे की दलीले देते हैं। वे कहते हैं कि यहां तुम जो भी पा रहे हो, यह क्षणिक  है। और हम तुम्हें जो बता रहे हैं, वह शाश्वत है।
बड़ा मजे का प्रलोभन है। यह लोभ को उकसाना है। वे यह कह रहे हैं की तुम नासमझ हो, धन के पीछे दौड़ रहे हो। हम समझदार
हैं, हम धर्म के पीछे दौड़ रहे हैं। और देखना की तुम धन पा भी लोगे, तो तुमसे छूट जाएगा। और हम जब धर्म को पा लेंगे, तो हमसे 
कोई छुड़ा न पाएगा।
तो इन दोनों आदमियों में जो फर्क है, वह होशियारी और चलाकी का है या इच्छा का है ? यह जो दूसरा आदमी है, जो पारलौकिक
इच्छा की बात कर रहा है, मोर कनिंग, ज्यादा चलाक मालूम होता है; मोर कैलकुलेटिंग, ज्यादा होशियार और गणित लगाने वाला
मालूम होता है। वह कहता है कि इस जगत की स्त्रियों को पाकर ‍क्या करोगे ? इनका सौंदर्य अभी है और अभी नहीं हो जाएगा। स्वर्ग में अप्सराएँ हैं, उन्हें पाओ! उनका सौंदर्य कभी स्खलित नहीं होता। यहां सुख पा रहे हो ? क्षणभंगुर है सुख; पानी के बुलबुले जैसा है; हाथ छुओगे, लगाओगे की टूट जाएगा। हम तम्हें उस सुख का रास्ता बताते हैं, जो शाश्वत है। यह जो मन बोल रहा है, वासनाग्रस्त है। और इस बात को समझ कर चल पड़ेगा, वह वासना से ही चल पड़ा है।
लाओत्से बिना किसी शर्त के कहता है, इच्छादि से मुक्त । कौन सी इच्छा नहीं, इच्छा से मुक्त। कल की मांग नहीं, आज का जीवन! 
कल का भरोसा नहीं, आज के साथ जीवन! भविष्य में कोई सपनों का फैलाव नहीं, इसी क्षण जो है, उसी में मौजुदगी ।
"ओशो ताओ उपनिषद"
If you want to understand Lao Tzu, then you have to understand, Lao Tzu says, Desire is the world.  Worldly desires are not there,
 To be in desire is to be in the world.  It is not that some desires are such that a man becomes free from them.  Because
 Lao Tzu says, desire is bondage.  Whatever it is, it does not matter.  In quality of desire
 does not happen.
 Laotse says, knowledgeable people free themselves from desire.  That means they release them from tension.  The sage says
 Stay now - right now, right here.  Forget tomorrow  Tomorrow's money, tomorrow's religion, tomorrow's fame, tomorrow's lord also.  Because if anything is yours tomorrow, then the desire will be there, and you will be stung.  And if you will remain tense and desire will remain, then you will be bound -
 Turbulent, afflicted, troubled.  Laotse says, by will.  There is no analysis of desires with which desires.
 If you go to read a simple scripture, then it is immediately decided to get rid of which desires - from bad desires!
 Get filled with good wishes.  Give up worldly desires;  Invite above-world desires.  Give up your intention to get into this world;  Nothing will be found here.  If you want to, then in the hereafter!  Rather, all these people who keep on explaining such things, they give great pleas.  They say that whatever you find here, it is momentary.  And what we are telling you is eternal.
 There is a temptation of great fun.  This is to provoke greed.  They are saying that you are mindless, running after money.  We smart
 Yes, we are running after religion.  And to see if you get money, you will be released.  And when we get religion, then
 No one will be able to redeem.
 So what is the difference between these two men, whether it is about intelligence and chalk or desire?  This is the second man, the other world
 Speaking of desire, peacock conning seems to be more moving;  More calculating, smarter and calculator
 It seems.  He says what will you do after finding the women of this world?  Their beauty is now and not yet.  There are nymphs in heaven, find them!  Their beauty never ejaculates.  Getting happiness here?  Happiness is fleeting;  Is like a bubble of water;  Touch your hand, you will break it.  We tell you the path of happiness, which is eternal.  The mind that is speaking is lusted.  And realizing this, he has to walk, he has walked with lust.
 Lao Tzu says unconditionally, free from desire.  Which is not desire, free from desire.  No demand for tomorrow, today's life!
 No trust of tomorrow, life with today!  There is no spread of dreams in the future, this is the moment, there is presence in it.
 "Osho Tao Upanishad"

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