Snehdeep Osho Vision

लाओत्से की धारणा है कि कमजोर हमला पहले कर देता है।
लाओत्से कहता है कि हमला आए , तो पी जाओ। हमला करने का तो सवाल ही नहीं; पहले ‍क्या, पीछे भी करने का सवाल नहीं है। उसे आत्मलीन कर लेना है।
लाओत्से कहता है, वह इसलिए चुप है की वह परम शक्ति है। प्रतिरोध वहां नहीं है। अगर नास्तिक कहता है, तुम नहीं हो, तो परमात्मा से भी प्रतिध्वनि आती है की नहीं हूं। कोआपरेट कर जाता है, उसके साथ भी सहयोग कर देता है। उससे भी विरोध नहीं है। 
जितनी बड़ी ऊर्जा, उतना ही प्रतिरोध नहीं होता।
लाओत्से कह रहा है कि तुम्हारे भीतर वह बिंदु ही न रह जाए , जो छोटे-बड़े को सोेचता है। इसके साथ, उसके साथ, सोेचता है। इस 
स्थिति में क्या करूं, उस स्थिति में ‍क्या करूं, सोेचता है। वह बिंदु ही न रह जाए । तुम्हारे भीतर संकल्प ही न रह जाए ।
लाओत्से को अगर एक छोटा बच्चा भी चांटा मार दे, तो भी जबाब नहीं देगा। और एक सम्राट भी हमला  बोल दे, तो भी जबाब नहीं 
देगा।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Lao Tzu's belief that a weak attack makes it first.
 Lao Tzu says if the attack comes, drink it.  There is no question of attacking;  Firstly, there is no question of doing backwards also.  It has to be absorbed.
 Lao Tzu says, he is silent because he is the ultimate power.  The resistance is not there.  If the atheist says, "You are not, then there is a resonance with God that I am not."  Cooperates, also collaborates with him.  There is no opposition to that either.
 The larger the energy, the greater the resistance.
 Lao Tzu is saying that there should be no point inside you that thinks big and small.  With this, he thinks.  this
 What to do in a situation, what to do in that situation, thinks.  That point should not remain.  There is no determination in you.
 Even if a small child slaps Laotse, he will not answer.  And even if an emperor strikes, no answer
 Will give.
 "Osho Tao Upanishad"

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