Snehdeep Osho Vision

लाओत्से कहता है, बुरे को बुरा मत कहो, भले को भला मत कहो; लेबलिंग मत करो ; पद मत बनाओ। इतना ही जानो कि सब अपने स्वभाव से जीते हैं।
अगर हम स्वभाव को देखें, तो यह कलह न हो, तह विग्रह न हो।
लाओत्से कहता है, न विग्रह और न संघर्ष।
अहंकार बचता है कलह में, संघर्ष में, जीत में, हार में । हार भी बेहतर है; उसमें भी अहंकार तो बना ही रहता है। ना-कुछ से हार बेहतर
है; उसमें अहंकार तो बना ही रहता है। लेकिन अगर पूरी शांति हो, तो आपका अहंकार नहीं बचेगा, आप नहीं बचोगे। पूरी शांति में
शांति ही बचेगी ; आप नहीं बचोगे।
लाओत्से कहता है, स्वभाव से तुम जैसे हो,वैसे हो। और यदि हम इसको स्वीकार कर लें , तो फिर कोई विग्रह नहीं है, फिर कोई कलह नहीं है, फिर कोई संघर्ष नहीं है–भीतर भी और बाहर भी ।
‘यदि दुर्लभ पदाथों को महत्व न दिया जाए , तो लोग दस्यु-वृति से मुक्त रहें ।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Lao Tzu says, do not call bad bad, do not call good good;  Do not do labeling;  Do not make posts.  Just know that everyone lives by their nature.
 If we look at nature, then it should not be discord, it should not be folded.
 Lao Tzu says, neither Deity nor conflict.
 The ego survives in strife, struggle, victory, defeat.  Necklace is also better;  Even ego remains in it.  Better to lose than nothing
 is;  The ego remains in it.  But if there is complete peace, your ego will not be saved, you will not be saved.  In complete peace
 Only peace will be saved;  You will not be saved.
 Lao Tzu says, by nature you are the way you are.  And if we accept it, then there is no Deity, then there is no discord, then there is no struggle - both inside and outside.
 'If rare substances are not given importance, then people should be free from bandit.
 "Osho Tao Upanishad"

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