According to Laotse, the painting was born in China. Tao painting is a different painting. Because whenever a man like Laotse Is, then work begins in all directions with respect to his vision. So according to Lao Tzu, the pictures were started to be made. Enjoy those pictures
He had more! Those cheetahs do not have frames. Things do not begin and end in those pictures. Nothing in life has a beginning and end. Everything is endless, veganingless. Only the things we make begin and end. So the painters of Lao Tzu, who make the paintings, can start from anywhere, can end anywhere.
Osho Tao Upanishad
लाओत्से के अनुसार पेंटिंग पैदा हुई थी चीन में । ताओ चित्रकला अलग ही चित्रकला है। क्योंकि लाओत्से जैसा आदमी जब भी होता है, तो उसकी दृष्टि को लेकर सब दिशाओं में काम शुरू होता है। तो लाओत्से के अनुसार चित्र बनने शरूु हुए थे। उन चित्रों का मजा ही और था ! उन चीत्रों में फ्रेम नहीं है। उन चित्रों में चीजें शुरू और अंत नहीं होतीं । जिंदगी में कहीं कोई चीज शुरू और अंत नहीं होती। सब चीजें एंडलेस , विगनिंगलेस हैं। सिर्फ हम जो चीजें बनाते हैं, वह शुरू होती हैं और अंत होती हैं। तो लाओत्से के जो चित्रकार चित्र बनाते हैं, वह कहीं से भी शरूु हो सकते हैं, कहीं भी समाप्त हो सकते हैं।
ओशो ताओ उपनिषद
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