The behavior of electrons is like that of a man. If a man is truthful, then it cannot be said about man what he Will do. Yes, what can be said about false men. What they will do in the morning can be said to be equal.
What will you do in the afternoon, it can be said equal. What to do in the evening, it can be said. What will be done, it can be said. Their whole
The future can be written that they will rage three times a day, will smoke cigarettes six times, will do it seven times, all that can be said is. But tomorrow cannot be said about the economic man, what he will do. What will you do tomorrow morning, cannot be said. It cannot be said at night that the authentic man will get up and leave Yashodhara sleeping. I could not even think that this man of Yashodhara, who slept with the night, was a day-old baby, was just born, it will disappear silently! It could not even come within his imagination. There was no reason that this man would suddenly disappear tomorrow morning. Authentic, authentic man will be uncertain. Indefinite means independent. Definitely means Gulab.
Osho Tao Upanishad
इलेक्ट्रान का व्यवहार जो है, आदमी जैसा है। अगर आदमी सच्चा हो, तो आदमी के बाबत भी नहीं कहा जा सकता कि वह क्या करेगा। हां, झूठे आदमियों के बाबत कहा जा सकता है की वे क्या करेंगे। वे सुबह क्या करेंगे, बराबर कहा जा सकता है। दोपहर क्या करेंगे, बराबर कहा जा सकता है। शाम क्या करेंगे, कहा जा सकता है। सांझ क्या करेंगे, कहा जा सकता है। उनका पूरा भविष्य लिखा जा सकता है की वे तीन दफे क्रोध करेंगे दिन में, छह दफे सिगरेट पियेंगे, सात दफे यह करेंगे, वह सब कहा जा सकता है। लेकिन आथेंटिक आदमी के बाबत कल का नहीं कहा जा सकता कि वह क्या करेगा। कल सुबह क्या करेगा, नहीं कहा जा सकता। रात वह आथेंटिक आदमी उठकर और सोई हुई यशोधरा को छोड़ कर चला जाएगा, यह नहीं कहा जा सकता। सोेच भी नहीं सकती थी यशोधरा की यह आदमी जो रात साथ सोया था, एक दिन का बच्चा था अभी पैदा हुआ, यह चुपचाप रात नदारद हो जाएगा! यह उसकी कल्पना के भी भीतर नहीं आ सकता था। कोई कारण ही नहीं दिखाई देता था कि यह आदमी कल सुबह अचानक नदारद हो जाएगा। आथेंटिक, प्रामाणिक आदमी अनिश्चित होगा। अनिश्चित अर्थात स्वतंत्र होगा। निश्चित अर्थात गुलाभ होगा।
ओशो ताओ उपनिषद
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