In poetry, in pictures, in music, in architecture,
In idol, in science, east
The mind is entering Very west
Is beset, the West is very afraid.
Herman Haynes wrote somewhere that the West
Will know soon that you
The one who conquered by attacking above, She proved to be very short-lived.But on the day its full Will attack us with feelings, His victory may be permanent on that day.
The victory you have achieved is very Was going to prove to be upper, because it
The gun was on the shaft. But if ever All his experience in the east, which he Raised for thousands of years, will attack with….
Of course, his attack is also like Will be Because cognition is not an attack
Do not know from which corner quietly She enters. She is entering. West is beset. And this to the west It is a daily experience that
His criteria are shaking. He who Had decided, he is shivering. And East loud, like in the sky
Suddenly cloudy, such an umbrella
Is going. She slowly
Will surround Is also natural because
The whole grip, if we understand properly
Is very upper, superficial, surface
Is on And on the surface, that's why the west
Could succeed quickly. All the grip of the east
So subjective and deep that hurry
Can not succeed.
Osho Tao Upnishad
काव्य में ,चित्र में, संगीत में, स्थापत्य में, मूर्ति में, विज्ञान में सब तरफ़ से पूरब का मन प्रवेश कर रहा है। पश्चिम बहुत आक्रांत है,
पश्चिम बहुत भयभीत है। हरमन हेन्स ने कहीं लिखा है कि पश्चिम को पता चलेगा शीघ्र की तुमने पूरब के ऊपर हमला करके जो
विजय पा ली थी, वह बहुत थोड़े दिन की सिद्ध हुई । लेकिन जिस दिन पूरब अपनी पूरी अंतर-भावनाओं को लेकर हमला कर देगा, उस दिन उनकी विजय स्थायी हो सकती है। तुमने जो विजय पा ली थी, वह बहुत ऊपरी ही सिद्ध होने वाली थी, क्योंकि वह बंदूक के कुंदे पर थी। लेकिन अगर कभी पूरब अपने पूरे अनुभव को, जो उसने हजारों वर्षो में पाला है, लेकर हमला करेगा…। निश्चित ही, उसका हमला भी और तरह का होगा। क्योंकि अनुभूति हमला नहीं करती,चुपचाप ना मालूम किस कोने से प्रवेश कर जाती है। वह
प्रवेश कर रही है। पश्चिम आक्रांत है। और पश्चिम को यह बात रोज-रोज अनुभव हो रही है कि उसके मापदंड हिल रहे हैं। उसने जो तय किया था, वह कंप रहा है। और पूरब बड़े जोर से, जैसे आकाश में अचानक बादल छा जाए, ऐसा छाता जा रहा है। वह धीरे-धीरे पूरे पश्चिम को घेर लेगा। स्वाभाविक भी है, क्योंकि की पूरी पकड़ ,ठीक से हम समझें, तो बहुत ऊपरी है, सुपरफिशियल है, सतह पर है। और सतह पर है, इसीलिए पश्चिम जल्दी सफल हो सका। पूरब की सारी पकड़ इतनी आत्मगत और गहरी है की जल्दी सफल नहीं हो सकता।
ओशो ताओ उपनिषद
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