Snehdeep Osho Vision

लाओत्से कह रहा है, कर्तव्य  तो वे निभाते हैं, जो श्रेय नहीं लेते। काम पूरा हो जाता है कि चुपचाप हट जाते हैं। बात निपट जाती है, 
तो चुपचाप विदा हो जाते हैं। इतनी देर भी नहीं रुकते की आप उन्हें धन्यवाद दे दें। इतनी देर भी नहीं रुकते की आप उन्हें धन्यवाद
दे दें। और अक्सर ऐसा होता है की ज्ञानी जो करता है, वह इतनी शांति से करता है की आपको पता ही नहीं चलता की उसने किया; और अक्सर कोई और ही उसका श्रेय लेता है। अक्सर कोई और ही उसका श्रेय लेता है। वह इतना चुपचाप करके कोने में सरक जाता
है! श्रेय लेने वाला कब बीच में आकर सामने खड़ा हो जाता है!
ज्ञानी अक्सर ही चुपचाप, करते वक्त सामने होता है, श्रेय लेते वक्त पीछे हट जाता है। ‍क्यों ? ‍क्योंकि ज्ञानी का मानना यह है कि
कर्तव्य में ही इतना आनंद है; कर्तव्य अपने में पूरा आनंद है। श्रेय तो  वे लेना चाहते हैं, जिन्हें कर्तव्य में आनंद नहीं मिलता।
ओशो ताओ उपनिषद 
Lao Tzu is saying that those who do duty do not take credit.  The work is completed that quietly moves away.  The matter is settled, Then depart quietly.  Don't wait so long that you thank them.  Don't wait so long thank you Give it  And it often happens that the wise man does what he does so peacefully that you don't even know he did;  And often someone else takes credit for it.  Often someone else takes credit for it.  He would move so quietly into the corner is!  When does the creditor come in the middle and stand in front!
A gyani is often silently in front while doing it, retreating while taking credit.  Why?  Because the knowledgeable believes that
There is so much joy in duty itself;  Duty is complete bliss in itself.  They want to take credit, who do not enjoy duty.
 Osho Tao Upanishad
 

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