Snehdeep Osho Vision

The ego of the knower is lost, so every action connects with the divine, moves away from the knower.  Therefore, the knowledgeable does nothing.
  And the day the knower comes to the position that he does not do anything, on that day the knower becomes just the medium of God.  that
 Becomes a tool of God.  It is God who picks him up, God only makes him sit, God only runs him, God speaks to him, and God is silent from him.
 Whatever superior truths have been revealed in this world in any, any way, they are all imperfect.  The one who does it, I am doing it, has no idea about it.  And where it is known, the truth has been distorted, beauty has become ugly, right there
 Love has become hatred.
 Osho Tao Upanishad



ज्ञानी का तो अहंकार खो गया, इसलिए हर क्रिया परमात्मा से जुड़ जाती है, ज्ञानी से हट जाती है। इसलिए ज्ञानी कुछ भी नहीं करता।
 और जिस दिन ज्ञानी इस स्थिति  में आ जाता है कि कुछ भी नहीं करता, उस दिन ज्ञानी सिर्फ माध्यम हो जाता है परमात्मा का। वह 
परमात्मा का एक साधन हो जाता है। परमात्मा ही उसे उठाता, परमात्मा ही उसे बिठाता, परमात्मा ही उसे चलाता, परमात्मा ही उससे बोलता, और परमात्मा ही उससे चुप होता है।
इस जगत में जो भी श्रेष्ठतम सत्यों का किसी भी, किसी भी ढंग से प्रकाट्य हुआ है, वह सभी अपौरुषेय है। उसमें करने वाले को, मैं कर रहा हूं, इसका कोई भी पता नहीं रहा है। और जहां इसका पता रहा है, वहीं सत्य विकृत हुआ है, वहीं सौंदर्य कुरूप हो गया है, वहीं 
प्रेम घृणा बन गया है।
ओशो ताओ उपनिषद



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