प्रेम अनंत का द्वार खोल सकता है। अस्तित्व की शाश्वतता का द्वार । इसलिए अगर तुमने कभी सच में प्रेम किया है तो प्रेम को ध्यान की विधि बनाया जा सकता है। यह वह विधि है प्रिय देवी प्रेम किए जाने के क्षण में प्रेम में ऐसे प्रवेश करो जैसे की यह नित्य जीवन हो।‘’
बाहर-बाहर रहकर प्रेमी मत बनो प्रेमपूर्ण होकर शाश्वत में प्रवेश करो। जब तुम किसी को प्रेम करते हो तो क्या तुम वहां
प्रेमी की तरह होते हो? अगर होते हो तो समय में हो, और तुम्हारा प्रेम झूठा है। नकली है, अगर तुम अब भी वहां हो और कहते हो कि मैं हूं तो शारीरिक रूप से नजदिक होकर भी आध्यात्मिक रूप से तुम्हारे बीच दो ध्रुओं की दूरी कायम रहती है।
प्रेम में तुम न रहो,सिर्फ प्रेम रहे;इसलिए प्रेम ही हो जाओ।
अहंकार को विसर्जित करने के लिए प्रेम सब से सरल मार्ग है। इसी वजह से अहंकारी लोग प्रेम नहीं कर पाते। वे प्रेम के बारे में
बातें कर सकते है। गीत गा सकते है। लिख सकते है; लेकिन वे प्रेम नहीं कर सकते अहंकार प्रेम नहीं कर सकता है।
शिव कहते है, प्रेम ही हो जाओ।
"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"
Love can open the door to infinity. The door to the perpetuity of existence. Therefore, if you have ever truly loved, love can be made a method of meditation. This is the method, enter the love as if it is a regular life at the moment of being loved by the beloved Goddess. "
Do not be a lover by staying outside and enter into eternal life by being loving. When you love someone are you there
Are you like a lover? If you are, be in time, and your love is false. It is fake, if you are still there and say that I am, even though physically close, the distance between the two dholes is maintained spiritually.
Don't be in love, just be in love; therefore, be in love.
Love is the simplest way to immerse the ego. This is why egoistic people are not able to love. They about love
Can talk Can sing songs Can write But they cannot love, ego cannot love.
Shiva says, just be in love.
"Osho Vigyan Bhairava Tantra"
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