विज्ञान के भी अपने अंधविश्वास है। और विज्ञान बहुत रूढ़िवादी होता है। विज्ञान अभी भी नहीं समझता है कि हवा से बढ़कर कुछ है, वह प्राण है। लेकिन भारत सदियों से उस पर प्रयोग कर रहा है।
सूत्रकहता है: सहस्त्रार तक रुप को प्राण से भरने दो।‘’
यह सूत्रकहता है कि जब तुम भृकुटियों के बीच स्थिर हो और प्राण को अनुभव करते हो, तब रुप को भरने दो। अब कल्पना
करो कि प्राण तुम्हारे पूरे मष्तिक को भर रहे है। विशेषकर सहस्त्रार को जो सर्वोच्च मनस केंद्र है। उस क्षण तुम कल्पना
करो। और वह भर जाएगा। कल्पना करो कि वह क्षण तुम्हारे सहस्त्रार से प्रकाश की तरह बरसेगा। और वह बरसने लगेगा।
और उस प्रकाश की वर्षा में तुम ताजा हो जाओगे। तुम्हारा पुनर्जन्म हो जाएगा। तुम बिलकुल नए हो जाओगे। आंतरिक
जन्म का यही अर्थ है।
यहां दो बातें है। एक तीसरी आँख पर केंद्रित होकर तुम्हारी कल्पना पुंसत्व को शुद्धि को उपलबध् हो जाती है। यही कारण है कि शुद्धता पर पवित्रता पर इतना बल दिया गया है। इस साधना में उतरने के पहले शुद्ध बने।
तंत्र के लिए शुद्ध कोई नैतिक धारणा नहीं है । शुद्ध इस लिए अर्थपूर्ण है कि यदि तुम तीसरी आँख पर स्थिर हुए और तुम्हारा
मन अशुद्ध रहा, तो तुम्हारी कल्पना खतरनाक सिद्ध हो सकती है—तुम्हारे लिए भी और दूसरे के लिए भी। यदि तुम किसी की हत्या करने की सोच रहे हो, उसका महज विचार भी मन में है। तो सिर्फ कल्पना से उस आदमी की मृत्यु घटित हो जाएगी।
यही कारण है कि शुद्धता पर इतना जोर दिया जाता है।
पाइथागोरस को विशेष उपवास और प्राणायाम से गुजरने को कहा गया क्योंकि यहां बहुत खतरनाक भूमि से यात्री गुजरता है। जहां भी शक्ति है, वहां खतरा है। यदि मन अशुद्ध है तो शक्ति मिलने पर आपके अशुद्ध विचार शक्ति पर हावी हो जाएंगे।
"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र "
Science also has its superstitions. And science is very conservative. Science still does not understand that there is anything more than air, it is life. But India has been experimenting on it for centuries.
The source says: Let the form be filled with life till Sahastrar. "
This sutra says that when you are stable among the Bhrikutis and feel the life, then let the form be filled. Now imagine
Do that life is filling your entire mind. Especially to Sahastrar which is the supreme Manas center. Imagine that moment
Do it And it will be filled. Imagine that moment will rain like light from your friend. And it will start raining.
And in the rain of that light you will be refreshed. You will be reborn You will be completely new. Internal This is the meaning of birth.
There are two things here. By focusing on a third eye, your imagination becomes available to purification. This is why purity is emphasized so much on purity. Becoming pure before entering this practice.
There is no pure moral belief for Tantra. Pure is meaningful because if you are fixed on the third eye and your
If the mind is impure, then your imagination can prove dangerous - both to you and to others. If you are thinking of killing someone, even his mere thought is in the mind. So just imagining that man's death will happen.
This is why there is so much emphasis on purity.
Pythagoras was told to undergo special fasting and pranayama as the traveler passes through very dangerous lands. Wherever there is power, there is danger. If the mind is impure, then when you get power, your impure thoughts will dominate the power.
"Osho Vigyan Bhairava Tantra"
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