पश्चिम के एक बहुत बड़े मनस्विद एडलर ने इस सदी में ठीक लाओत्से को परिपूर्ण करने वाला, सब्स्टीटयूट करने वाला सिद्धांत
पश्चिम को दिया है। और वह यह है: जो लोग भी सुपीरियर होने की चेष्टा करते हैं, वे भीतर से इनपीरियर होते हैं। जो लोग भी
श्रेष्ठता की खोज करते हैं, वे भीतर से हीनता से पीडित होते हैं। और इसलिए एक बहुत मजे की बात घटती है कि अक्सर जिन लोगों
को हीनता का भाव बहुत गहन होता है, इनफीरियारीटी कांप्लेक्स भारी होती है, वे कोई न कोई पद, कोई न कोई धन, कोई न कोई यश उपलब्ध करके ही मानते हैं। क्योंकि वे बिना सिद्ध किए नहीं मान सकते की वे अश्रेष्ठ नहीं हैं, वे भी श्रेष्ठ हैं। और उनके पास एक ही उपाय है, आपकी आखों में जो दिखाई पड़ सके ।
लाओत्से कहता है, श्रेष्ठता निजता में होती है, स्वयं में होती है, स्वभाव में होती है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Adler, a great psychologist of the West, who completed the Lao Tzu in this century Has given to the west. And this is this: Those who try to be superior, they are superior from within. Whoever Seeking superiority, they suffer inferiority from within. And so it is a very interesting thing that often people
The sense of inferiority is very intense, the inferiority complex is heavy, they believe it by providing some position, some money, some fame. Because they cannot believe without proving that they are not noble, they are also superior. And they have only one solution, which can be seen in your eyes.
Lao Tzu says, superiority is in privacy, in self, in nature.
"Osho Tao Upanishad"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें