Snehdeep Osho Vision

 तंत्र द्वैत के पार जाता है, इसलिए उसका दृष्टिकोण अति नैतिक है। कृपया कर इन शब्दों को समझो: नैतिक,अनैतिक, अतिअनैतिक । नैतिक क्या है हम समझते है; अनैतिक क्या है हम समझते है; लेकिन जब कोई चीज अतिनैतिक हो जाती है, दौनों के पार चली जाती है। तब उसे समझना कठिन है।

तंत्र अतिनैतिक है। तंत्र कहता है। कोई नैतिकता जरूरी नहीं है। कोई खास नैतिकता जरूरी नहीं है। सच तो यह है कि तुम अनैतिक हो,क्योंकि तुम हारा चित्त अशांत है। इसलिए तंत्र शर्त नहीं लगाता कि पहले तुम नैतिक बनो तब तंत्र की साधना कर

सकते हो। तंत्र के लिए यह बात ही बेतुकी है। कोई बीमार है, बुखार में है, डाक्टर आकर कहता है: पहले अपना बुखार कम करो, पहले पूरा स्वस्थ हो लो और तब मैं दवा दूँगा। यह तो हो रहा है, चोर साधु के पास जाता है। और कहता है, मैं चौर हूं, मुझे ध्यान करना सिखाएं । साधु कहता है, पहले चोरी छोड़ो, चोर रहते ध्यान कैसे कर सकते हो। एक शराबी आकर कहता है, मैं शराब पीता हूं, मुझे ध्यान बताएं। और साधु कहता है,पहली शर्त कि शराब छोड़ो तब ध्यान कर सकोगे।

तंत्र तुम्हारी तथा कथित नैतिकता की., तुम्हारे समाजिक रस्म-रिवाज आदि की चिंता नहीं करता है। इसका यह अर्थ नहीं है की तंत्र तुम्हें अनैतिक होने को कहता है। नहीं, तंत्र जब तुम्हारे नैतिकता की ही इतनी परवाह नहीं करता। तो वह तुम्हारे अनैतिक होनेको नहीं कह सकता। तंत्र तो वैज्ञानिक विधि बताता है कि कैसे चित्त को बदला जाए। और एक बार चित्त दूसरा हुआ की तुम्हारा चरित्र दूसरा हो जाएगा। एक बार तुम्हारे ढांचे का आधार बदला की पूरी इमारत दूसरी हो जाएगी।

इसी अतिनैतिक सुझाव के कारण तंत्र तुम्हारे तथा कथित साधु-महात्माओं को बर्दास्त नहीं हुआ। वे सब उसकेविरोध में खड़े हो गए। क्योंकि अगर तंत्र सफल होता है तो धर्म के नाम पर चलने वाला सारी नासमझी समाप्त हो जाएगी।


"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"


Tantra transcends dualism, so its approach is highly ethical.  Please understand these words: moral, immoral, unethical.  We understand what is ethical;  We understand what is immoral;  But when something becomes hypocritical, it crosses the runes.  It is difficult to understand then.

 The mechanism is extreme.  Tantra says.  No morality is necessary.  No special morality is necessary.  The truth is that you are immoral, because you lose mind is disturbed.  That is why Tantra does not condition you to be ethical first then practice Tantra.

 Can be  This is absurd for Tantra.  Somebody is sick, fever, doctor comes and says: First reduce your fever, get well first and then I will give medicine.  This is happening, the thief goes to the monk.  And says, I am Chaura, teach me to meditate.  The monk says, first stop stealing, how can you meditate while a thief.  An alcoholic comes and says, I drink alcohol, tell me meditation.  And the monk says, first condition is to give up alcohol then you will be able to meditate.

 Tantra does not care about you and perceived morality, your social rituals etc.  This does not mean that the system tells you to be immoral.  No, Tantra does not care so much about your morality.  So he cannot say that you are immoral.  Tantra tells the scientific method how to change the mind.  And once there is another mind that your character will be different.  Once the foundation of your structure is changed, the whole building will become another.

 Because of this extreme suggestion, Tantra did not ruin you and the so-called sage-mahatmas.  They all stood against him.  Because if Tantra is successful, then all the foolishness that goes on in the name of religion will end.


 "Osho Vigyan Bhairava Tantra"



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