Snehdeep Osho Vision

 तंत्र धर्म नहीं है। विज्ञान है। किसी विश्वास की जरूरत नहीं है। कुरान या वेद में, बुद्ध या महावीर में आस्था रखने की

आवश्यकता नहीं है। न ही, किसी विश्वास की आवश्यकता है। प्रयोग करने का महा साहस पर्याप्त है, प्रयोग करने की हिम्मत काफी है। एक मुसलमान प्रयोग कर सकता है। वह कुरान के गहरे अर्थो को उपलब्ध हो जाएगा। एक हिन्दू प्रयास कर सकता है। और वह पहली दफा जानेगा कि वेद क्या  है? वैसे ही एक जैन इस साधना में उतर सकता है, बौद्ध इस साधना में उतर सकता है, एक ईसाई इस साधना में उतर सकता है…वे जहां है तंत्र उन्हें आप्तकाम काम करेगा। उनके अपने चुने हुए रास्ते जो भी हो, तंत्र सहयोगी होगा।

यही कारण है कि जनसाधारण के लिए तंत्र नहीं समझा गया। और सदा यह होता है की जब तुम किसी चीज को नहीं समझते

हो तो उसे गलत जरूर समझते हो। क्योंकि तब तुम्हें लगता है। कि समझते जरूर हो। तुम रिक्त स्थान में बने रहने को राज़ी

नहीं हो। दूसरी बात कि जब तुम किसी चीज को नहीं समझते हो, तुम उसे गाली देने लगते हो। यह इसलिए की यह तुम्हें अपमानजनक लगता है। तुम सोचते हो, तुम और नहीं समझूं, यह असंभव है। इस चीज के साथ ही कुछ भूल होगी। और तब तुम गाली देने लगते हो। तब तुम ऊलजलूल बकने लगते हो। और कहते हो की अब ठीक है। इस लिए तंत्र को नहीं समझा गया। और तंत्र को गलत समझा गया। महान राज भौज ने पवित्र उज्जैन नगर में तंत्र के विद्द्यापीठ को खतम कर दिया। एक लाख तांत्रिक जोड़ों- को काट दिया। क्यों ये क्या है, हमारी समझ में नहीं आता। कुछ साल- पहले वहीं पर राजा विक्रमादित्य  ने उन्हीं तांत्रिको को कितना सम्मान दिया…..यह इतना गहरा और उँचा था की यह होना स्वाभाविक था।


"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"


Tantra is not religion.  Is science.  No faith is needed.  To believe in the Quran or Veda, in Buddha or Mahavira

 is not needed.  Nor, any belief is required.  Great courage to experiment is enough, courage to experiment is enough.  A Muslim can experiment.  It will become available to the deeper meanings of the Quran.  A Hindu can try.  And he will know for the first time what is the Veda?  In the same way, a Jain can enter this practice, a Buddhist can enter this practice, a Christian can enter this practice… Tantra will make them work where they are.  Whatever their path of choice, Tantra will be supportive.

 This is the reason why the mechanism for the general public is not understood.  And it always happens when you don't understand anything

 If you do, then you definitely consider it wrong.  Because then you think.  You must understand that.  You agree to stay in the blank

 Don't be  Second thing is that when you don't understand anything, you start abusing it.  This is because you find it insulting.  You think, you don't understand anymore, it is impossible.  There will be some mistake with this thing.  And then you start abusing.  Then you start blabbering.  And say that it's okay now.  Hence the mechanism was not understood.  And the mechanism was misunderstood.  The great Raj Bhauja finished the Vidyapith of Tantra in the holy Ujjain city.  One lakh Tantric couples - cut off.  We do not understand why it is there.  A few years ago, there was so much respect given by King Vikramaditya to the same tantricos… .. It was so deep and high that it was natural to be.


 "Osho Vigyan Bhairava Tantra"




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