पुरुष की सारी शिक्षा यही है। न मालूम कितने रूपों से अपने चारों तरफ वह जो दुनियां बनाता है, वह गैर-भरोसे की दुनियां है। उसमें संघर्ष है। उसमें हर एक दुश्मन है और प्रतियोगी है। स्त्रैण-चित्त के लिए भरोसा बहुत सहज है। लेकिन स्त्री की भी शिक्षा हम पुरुष के द्वारा दिलवाते हैं। और स्त्री को भी जो सूत्र सिखाए जाते हैं, वे पुरुषों की पाठशाला में सिखाए जाते हैं। इसलिए स्त्री को भी पता नहीं कि स्त्रैण-चित्त क्या है।और इसलिए कई बार जब स्त्री पुरुष की शिक्षा में शिक्षित हो जाती है, तो पुरुष से भी ज्यादा संदेहशील हो जाती है। नया मुसलमान
जैसा मस्जिद की तरफ ज्यादा जाता है, वैसे ही स्त्री जो पुरुष की शिक्षा भें शिक्षित हो जाती है, वह पुरुष से भी ज्यादा संदेहशील हो जाती है। अन्यथा संदेह स्त्री का स्वभाव नहीं है। सहज स्वीकार उसका स्वभाव है। ऐसा उसे करना नहीं पड़ता, ऐसी उसकी प्रकृति है।
ऐसा भरोसे में जीना उसका ढंग ही है, उसके जीवन का ढंग ही है। दिवेरी वे ऑफ लाइफ ! उसके खून और उसकी हड्डी मांस-मज्जा में भरोसा है।
स्त्रैण रहस्य में मे बातें खयाल रखनी जरूरी हैं कि लाओत्से जिस तरफ इशारा कर रहा है, वह श्रद्धा का जगत है। समर्पण का,
संघर्षहीन, प्रकृति के साथ सहयोग का, वियोध का नहीं। प्रकृति के साथ बह जाने का, प्रकृति के साथ संघर्ष का नहीं। नदी में तैरने जैसा नहीं, नदी में बह जाने जैसा है; कि कोई आदमी ने भरोसा कर लिया हो नदी पर और बह गया । तैरता भी नहीं है; किसी किनारे पर पहुंचने की आकांक्षा भी नहीं है। नदी जहां ऩहुंचा दे, वही मंजिल है। ऐसे भरोसे से भरा हुआ बहा जाता है।
"ओशो ताओ उपनिषद"
This is all the education of a man. Don't know how many worlds he creates around him, he is a world of non-trust. There is conflict in that. It has every enemy and competitor. Trust is very easy for the feminine. But we also get the education of a woman through a man. And the sutras that are taught to a woman are also taught in a men's school. Therefore, the woman does not even know what is feminine and so many times when a woman gets educated in the education of the man, she becomes more suspicious than the man. New muslim
As more goes towards the mosque, the woman who gets educated in the education of the man, becomes more suspicious than the man. Otherwise doubt is not the nature of woman. Accepting nature is its nature. He does not have to do this, such is his nature.
Living in such confidence is his way, his way of life. Diwari Way of Life! There is confidence in his blood and his bone marrow.
It is important to keep in mind the things in the feminine mystery that the way Lao Tzu is pointing is a world of reverence. Of dedication,
Struggleless, of cooperation with nature, not of disunity. To get swept away with nature, not conflict with nature. It is not like swimming in the river, it is like being swept away in the river; That some man may have believed, the river was swept away. Doesn't even float; There is no desire to reach any shore. Where the river reaches, it is the destination. It is filled with such confidence.
"Osho Tao Upanishad"
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