Snehdeep osho vision

 अभी पश्चिम में एक छोटा सा वैज्ञानिकों का प्रयोग चलता है, जिसमें वे  यह कोशिश करते हैं कि ‍क्या यह संभव है! और तंत्र ने इस

पर बहुत पहले काम किया है–बहुत पहले, कोई दो हजार साल पहले– और यह अनुभव किया है कि यह हो सकता है। स्त्री य पुरुष

के संभोग में चूंकि पुरुष सक्रिय होता है। अगर पुरुष सक्रिय न हो पाए , तो संभोग असंभव है। अगर पुरुष कमजोर हो जाए , वृद्ध हो जाए , उसके जनन-यंत्र शिथिल हो जाए, तो संभोग असंभव है। लेकिन अभी पश्चिम में दस वर्षों में कुछ प्रयोग हुए हैं गहरे, जिनमें वे कहते हैं कि अगर पुरुष की जनेन्द्रिय बिलकुल शिथिल और क्षीण , शक्तिहीन हो जाए , तो भी फिक्र नहीं। स्त्री अगर उस पुरुष को प्रेम करती है, तो सिर्फ स्त्री-जनेंद्रिय के पास पहुंच जाने पर स्त्री की जनेंद्रिय पुरुष की जननेंद्रिय को चुपचाप अपने भीतर खींच लेती है। पुरुष को प्रवेश की भी जरूरत नहीं है। अगर स्त्री का प्रेम भारी है, तो उसका शरीर ऐसे खींच लेता है, जैसे खाली जगह में हवा खींच कर आ जाए ।

यह बहुत हैरानी का तथ्य है। और अगर ऐसा नहीं होता, तो उसका कुल कारण इतना है कि स्त्री प्रेम नहीं करती है उस पुरुष को।

इसलिए उसका शरीर उसे खींचता नहीं। और इसलिए पुरुष जो भी कर रहा है, वह बलात्कार है। अगर स्त्री प्रेम करती है, तो खींच लेगी। उसका पूरा बायोलॉजिकल, उसका जैविक यंत्र ऐसा है कि वह ‍व्यक्ति को अपने भीतर खींच लेगी।

लाओत्से कहता है, यह स्त्री का रहस्य है कि बिना कुछ किए वह कुछ कर सकती है। बिना कुछ किए ! पुरुष को कुछ भी करना हो, तो 

करना पड़ेगा। धर्म का रहस्य भी स्त्रैण है। अगर कोई परमात्मा को पाने जाए , तो कभी न पा सकेगा। और कोई केवल अपने हृदय के द्वार को खोल कर ठहर जाए, तो परमात्मा यहीं और अभी प्रवेश कर जाता है। दूर-दूर खोजे कोई, अनंत की मात्रा करे कोई, भटके 

जन्मों-जन्मों तक, तो भी परमात्मा को नहीं पा सकेगा। ‍क्योंकि परमात्मा को पाने का राज ही यही है कि हम रिसेप्टिव हो जाए, 

एग्रेसिव नहीं। हम अपने को खुला छोड़ दें। हम सिर्फ राजी हो जाएं कि वह आता हो तो हमारे द्वार-दरवाजे बंद न पाएं । हमारा प्रेम

इतना ही करे की वह एक पैसिव अवेटिंग, एक निष्क्रिय प्रतीऺक्षा बन जाए ।

स्त्री जन्म-जन्म तक अपने प्रेमी की प्रतीक्षा कर सकती है; पुरुष नहीं कर सकता। पुरुष प्रतीक्षा जानता ही नहीं है। पुरुष के मन की

जो ‍व्यवस्था है, उसमें प्रतीऺक्षा नहीं है। उसमें अभी और यहीं, इंसटैंट सब चाहिए । इंसटैंट काफी भी , इंसटैंट सेक्स भी । अभी! इसलिए पुरुष ने विवाह ईजाद किया। ‍क्योंकि विवाह के बिना इंसटैंट से‍क्स, अभी, संभव नहीं है। पुरुष प्रतीऺक्षा बिलकुल नहीं कर सकता। आतुर

है, ‍व्यग्र है, तनावग्रस्त है। लेकिन स्त्री प्रतीऺक्षा कर सकती है, अनंत प्रतीऺक्षा कर सकती है।

इसलिए जब इस मुल्क में हिंदुओं ने पुरुषों को विधुर रखने की ‍व्यवस्था नहीं की और स्त्रियों को विधवा रखने की ‍व्यवस्था की, तो 

यह सिर्फ स्त्रियों पर ज्यादती ही नहीं थी, यह स्त्रियों की प्रतीऺक्षा के तत्व की समझ भी इसमें थी। एक स्त्री अपने प्रेमी के लिए पूरे

जन्म, अगले जन्म तक के लिए प्रतीऺक्षा कर सकती है। यह भरोसा किया जा सकता है। लेकिन पुरुष पर यह भरोसा नहीं किया जा

सकता।


"ओशो ताओ उपनिषद"

Now a small scientists experiment in the West, in which they try whether it is possible!  And Tantra has

 But have worked long ago — long ago, some two thousand years ago — and have realized that it can happen.  Female man

 Since the male is active in sexual intercourse.  Sexual intercourse is impossible if men are not able to become active.  If a man becomes weak, becomes old, his reproductive system is relaxed, then sexual intercourse is impossible.  But there have been some experiments in the West in the last ten years, deep in which they say that if the man's senses become completely relaxed and weak, powerless, then don't worry.  If a woman loves that man, then only when she reaches the female-genitalia, the woman's genitalia quietly pulls the male's genitalia within.  The man does not even need admission.  If a woman's love is heavy, then her body pulls in such a way as to draw air in an empty space.

 This is very surprising fact.  And if it does not, then its total reason is that the woman does not love the man.

 Therefore his body does not pull him.  And so whatever the man is doing is rape.  If the woman loves, she will pull it.  Her entire biological, her biological device is such that she will pull the person inside herself.

 Lao Tzu says, it is a woman's secret that she can do something without doing anything.  Without doing anything!  If a man wants to do anything

 have to do it.  The mystery of religion is also feminine.  If someone goes to get the divine, he will never be able to find it.  And if someone stops by opening the door of his heart only, then God enters here and now.  Somebody search far and wide, someone wanders infinite

 Even for births, you will not be able to find God.  Because the secret of attaining God is that we become receptive,

 Not aggressive.  We leave ourselves open.  We can only agree that if he comes, then we cannot get our doors closed.  Our love

 Do so much that it becomes a passive awakening, a passive waiting.

 A woman can wait for her lover until birth;  Man cannot.  The man does not know the wait.  Man's mind

 There is no waiting in the system.  He needs everything right now and here.  Instant coffee too, instant sex too.  now!  So the man devised the marriage.  Because instant sex is not possible without marriage right now.  The male cannot wait.  Ferocious

 Is, is stressed, is stressed.  But a woman can wait, she can wait infinitely.

 So when Hindus in this country did not arrange to keep men widowers and to keep women widows,

 It was not only excesses on women, it was also an understanding of the element of waiting for women.  A woman full for her lover

 The birth can wait till the next birth.  It can be trusted.  But man can't be trusted can.


 "Osho Tao Upanishad"




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