Snehdeep Osho Vision

 अगय एक स्त्री आपके प्रेम में पड़ जाए , तो भी आक्रमण नहीं करती है। प्रेम में भी आक्रमण नहीं करती है। प्रेम में भी प्रतीऺक्षा करती है। आक्रमण का मौका आपको ही देती है। आप कभी किसी स्त्री से ऐसा न कह सकेंगे कि तूने मुझे प्रेम में उलझा दिया, कि तूने मुझे विवाह में डाल दिया। स्त्रियां ही डालती हैं। लेकिन कभी आप किसी स्त्री से ऐसा न कह सकेंगे कि तूने मुझे प्रेम में उलझा दिया। ‍क्योंकि इनीशिएटिव वे कभी नहीं लेतीं,पहल वे कभी नहीं करतीं । वही उनका रहस्य है: खींचना बिना किसी क्रिया के, बिना किसी कर्म के आकर्षित करना, सिर्फ होने मात्र से आकर्षित करना। जिसको कृष्ण ने गीता में इन- एक्शन कहा है, अकर्म कहा है, स्त्री का रहस्य वही है।

वह अगर प्रेम में भी गिर जाए , तो उसकी तरफ से इशारा भी नहीं मिलता कि वह आपके प्रेम में गिर गई है। उसकी मौजूदगी आपको खींचती है, खींचती है। आप ही पहली दफा कहते हैं कि मैं प्रेम में पड़ गया हूं। स्त्री कभी किसी से नहीं कहती की मैं तुम्हारे प्रेम में पड़ गई हूं। पहल कभी नहीं करती, ‍क्योंकि पहल आक्रामक है, एग्रेसिव है,पाजेटिव है। जब मैं किसी से कहता हूं कि मैं तुम्हें प्रेम करता हूं, मैं अपने से बाहर गया। मैंने कहीं जाकर आक्रमण किया। मैंने ट्रेसपासिंग शरूु की। मैं दूसरे की सीमा में प्रवेश कर रहा हूं।

स्त्री कभी किसी की सीमा में प्रवेश नहीं करती। फिर भी स्त्री आकर्षक है। उसका रहस्य ‍क्या है?

निश्चित ही, उसका आकर्षण इन- एक्टिव है, एक्टिव नहीं है। पुकारती है, लेकिन आवाज नहीं होती उस पुकार में; हाथ फैलाती है,लेकिन उसके हाथ दिखाई नहीं पड़ते; निमंत्रण दिया जाता है, लेकिन निमंत्रण की कोई भी रूप-रेखा नहीं होती। कभी पुरुष को करना पड़ता है।

कदम उसे उठाना पड़ता है। जाना उसे पड़ता है। प्रार्थना उसे करनी पड़ती है। और फिर भी स्त्री इनकार किए चली जाती है। और जब 

भी कोई स्त्री किसी के प्रेम में जल्दी हां भर देती है, तब समझना चाहिए , उस स्त्री को भी स्त्रैण रहस्य का कोई पता नहीं है। ‍क्योंकि

जैसे ही स्त्री हां भरती है, वैसे ही ‍व्यर्थ हो जाती है। उसका निषेध, उसका इनकार, उसका इनकार किए चले जाना ही उसका अनंत रस का रहस्य है। लेकिन उसकी नहीं कुछ ऐसी है, जैसी नहीं पुरुष कभी नहीं बोल सकता। ‍क्योंकि जब पुरुष बोलता है नहीं, कहता है नो, इट मीन्स नो!  और जब स्त्री कहती है नो, इट मीन्स यस। अगर स्त्री को नो ही कहना है, तो वह नो भी नहीं कहेगी। ‍क्योंकि उतना कहना भी बहुत ज्यादा कहना है।

स्त्री जब हां करती है, तब वह पुरुष की भाषा बोल रही है। इसलिए स्त्री के मुह से हां बहुत ही छोछा, उथला और गहरे अर्थों में

अनैतिक मालूम पड़ता है। उतना भी आक्रमण है। स्त्री का सारा रहस्य और राज तो इसमें  है, उसकी मिस्ट्री इसमें है की वह नहीं कहती है और बुलाती है। नहीं बुलाती और निमंत्रण जाता है। अपनी ओर से कभी कोई कमिटमेंट स्त्री नहीं करती। सब कमिटमेंट पुरुष करता है। सब प्रतिबद्धताएं ं पुरुष की हैं।

और इस भ्रांति में कोई पुरुष न रहे कि स्त्री ने कुछ भी नहीं किया है। स्त्री ने बहुत कुछ किया है। लेकिन उसके करने का ढंग

निषेधात्मक है, घाटी की तरह है, अंधेरे की तरह है। निषेध ही उसकी तरकीब है। दूर हटना ही पास आने का निमंत्रण है। उसकी बचने की कोशिश ही बुलावा है। यह फेमिनिन मिस्ट्री है। और इसमें और गहरे उतरेंगे, तो बहुत सी बातें खयाल में आएंगी। स्त्री संभोग की दृष्टि से भी निषेधात्मक है, पैसिव है। इसलिए दुनियां में स्त्रियों के ऊपर कोई बलात्कार का जुर्म नहीं रखा जा सकता। किसी स्त्री ने लाखों वर्ष के इतिहास में किसी पर बलात्कार नहीं किया है। स्त्री के ‍व्यक्तित्व में बलात्कार असंभव है।

"ओशो ताओ उपनिषद "

Even if a woman falls in love with you, she does not attack.  It does not attack even in love.  Waiting on love too.  It is your chance to attack.  You will never be able to say to a woman that you made me fall in love, that you put me into marriage.  Women only do it.  But you will never be able to say to a woman that you have made me fall in love.  Because she never takes the initiative, she never takes the initiative.  That is their secret: to draw without action, to draw without any action, to attract just by being.  What Krishna has called in-action in the Gita, it is called action, the mystery of a woman is the same.

 Even if she falls in love, then there is no indication from her that she has fallen in your love.  His presence draws you, pulls you.  You are the first time I say that I have fallen in love.  The woman never tells anyone that I have fallen in love with you.  Initiative never does, because initiative is aggressive, aggressive, positive.  When I tell someone that I love you, I go out of myself.  I attacked somewhere.  I started Trespassing.  I am entering the boundary of another.

 A woman never enters anyone's limits.  Yet the woman is attractive.  What is his secret?

 Certainly, his attraction is in-active, not active.  Calls, but there is no sound in that call;  Stretches hands, but his hands are not visible;  The invitation is given, but there is no outline of the invitation.  Sometimes a man has to do it.

 He has to take steps.  He has to go.  He has to pray.  And yet the woman goes away in denial.  and when

 Even a woman fills yes in someone's love, then it should be understood, that woman also has no idea of ​​the feminine secret.  Because

 As soon as the woman fills yes, so does the vain.  His negation, his denial, his denial are the secret of his infinite juice.  But it is not something that no man can ever speak.  Because when a man speaks no, says no, it means no!  And when the woman says no, it means yes.  If a woman wants to say no, then she will not say no.  Because saying too much means saying too much.

 When the woman does yes, then she is speaking the language of the man.  So yes, very shallow and deep meaning in the mouth of a woman

 Looks immoral.  It is also an attack.  All the secrets and secrets of a woman are in it, her mystery is in that she does not say and call.  Does not call and the invitation goes.  A woman never makes any commitment on her behalf.  All men commit.  All the commitments are of men.

 And there should be no man in the illusion that the woman has done nothing.  The woman has done a lot.  But the way it works

 Is prohibitive, is like valley, is like darkness.  Prohibition is his trick.  Getting away is an invitation to come closer.  He is called to try to escape.  This is the Feminine Mystery.  And if we go deeper into it, many things will come to mind.  The woman is prohibitive in terms of sexual intercourse, is passive.  Therefore, no rape offense can be placed on women in the world.  No woman has raped anyone in the history of millions of years.  Rape is impossible in a woman's personality.

 "Osho Tao Upanishad"


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