Snehdeep Osho Vision

 एक बच्चे का जन्म होता है। पिता बच्चे के जन्म में बहुत ‍एक्सिडेंटल है, उसका कोई बहुत गहरा भाग नहीं है। और अब वैज्ञानिक

कहते हैं कि पिता के बिना भी चल जाएगा, बहुत ज्यादा दिन जरूरत नहीं रहेगी। पिता का हिस्सा बहुत ही न के बराबर है। जन्म तो मां से ही मिलता है। तो जीवन को पैदा करने की जो कुंजी है और रहस्य है, वह तो माँ के शरीर में छिपा है। पिता के शरीर में वह

कुंजी और रहस्य नहीं छिपा हुआ है। इसलिए पिता को कभी भी गैर-जरूरी सिद्ध किया जा सकता है। उसका काम एक इंजे‍क्शन भी

कर देगा।

 और अगर मैं आज से दस हजार साल बाद किसी बच्चे का पिता बनना चाहूं, तो बन सकता हूं। लेकिन कोई माँ अगर आज तय करे, तो दस हजार साल बाद माँ नहीं बन सकती है। ‍क्योंकि माँ की मौजूदगी अभी जरूरी होगी, मेरी मौजूदगी जरूरी नहीं है। मेरे वीर्य-कण को संरक्षित रखा जा सकता है,डीप फ्रीज किया जा सकता है। दस हजार साल बाद इंजे‍क्शन से किसी भी स्त्री में वह जन्म का सूत्र बन सकता है। मेरा होना आवश्यक नहीं है। इसलिए बहुत जल्दी पोस्थूमस चाइल्ड पैदा होंगे। पिता भले दस हजार साल हो गए , उसका बच्चा कभी भी पैदा हो सकता है। ‍क्योंकि पिता का काम प्रकृत बहुत गहरा नहीं ले रही थी। गहरा काम तो माँ का था।

सृजनात्मक काम तो माँ का ही था।

मनोवैज्ञानिक कहते हैं, इसीलिए स्त्रियां दुनियां में कोई क्रिएटिव काम नहीं कर पाती हैं। ‍क्योंकि वे इतना बड़ा क्रिएटिव काम कर लेती 

हैं कि और कोई सब्स्टीट्यूट खोजने की जरूरत नहीं रह जाती है– एक जीवित बच्चे को जन्म देना! लेकिन पुरुष ने दुनियां में बहुत सी चीजें पैदा की हैं, स्त्री ने नहीं पैदा की हैं। पुरुष चित्र बनाता है,मूर्तियां बनाता है, विज्ञान की खोज करता है, गीत लिखता है, संगीत बनाता है। यह जान कर आप हैरान होंगे कि स्त्रियां सारी दुनियां में खाना बनाती हैं, लेकिन अच्छे खाने की खोज सदा ही पुरुष करता है। नए खाने की खोज पुरुष करता है। और दुनियां का कोई भी बड़ा होटल या कोई बड़ा सम्राट स्त्री-रसोइए को रखने को राजी नहीं  है, पुरुष-रसोइए को रखना पड़ता है। चाहे चित्र बनता हो दुनियां में, चाहे कविता पैदा होती हो, चाहे एक उपन्यास लिखा जाता हो, चाहे एक नई मूर्ति गढ़ी जाती हो, वह सब काम पुरुष करता है। बात ‍क्या है?

मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि पुरुष ईर्ष्या अनुभव करता है; स्त्री के समक्ष हीनता भी अनुभव करता है। वह भी कुछ पैदा करके दिखाना

चाहता है, जो स्त्री के समक्ष सामने खड़ा हो जाए और कहा जा सके, हमने भी कुछ बनाया है, हमने भी कुछ पैदा किया है। और स्त्री कुछ पैदा नहीं करती, ‍क्योंकि वह इतनी बड़ी चीज पैदा करती है कि उसके मन में फिर और पैदा करने की कोई कामना नहीं रह जाती। और एक स्त्री अगर मां बन गई है, तो कितना ही अच्छा चित्र बनाए , वह उसके बेटे और उसकी बेटी के सामने सदा फीका और

निर्जीव होगा। इसलिए बांझ स्त्रियां जरूर कुछ-कुछ कोशिश करती हैं पुरुषों जैसी। वे जरूर पुरुष के साथ कुछ निर्माण करने की 

प्रतियोगिता में उतरती हैं। लेकिन एक स्त्री अगर सच में मां बन जाए , तो उसका जीवन बहुत आतंरिक गहराइयों तक तृप्त  हो जाता

है। स्त्री को प्रकृत ने सजृन का स्रोत चुना है।

निश्चित ही, स्त्री के शरीर में, वह जिसे लाओत्से कह रहा है स्त्रैण रहस्य, उसे हमें समझना पड़ेगा, तो ही हम अस्तित्व में स्त्रैण रहस्य को समझ पाएंगे। और हमारी कठिनाई ज्यादा बढ़ जाती है, ‍क्योंकि सारी कोशिश जीवन को समझने की पुरुष ने की है। और सारी फिलासपीज, सारे दर्शन पुरुष ने निर्मित की हैं। अब तक एक भी धर्म किसी स्त्री पैगम्बर, स्त्री तीर्थकर के आस-पास निर्मित नहीं हुआ है। सब शास्त्र पुरुषों के हैं। इसलिए लाओत्से को साथी खोजना मुश्किल हो गया, ‍क्योंकि उसने स्त्रैण रहस्य की तारीफ की।

पुरुष जो भी सोेेचेगा और जो भी करेगा, उसमें पुरुष जहां खड़ा है, वहीं से सोेचता है। और पुरुष को स्त्री कभी समझ में नहीं आ पाती है। इसलिए पुरुष निरतंर अनुभव करता है कि स्त्री बेबूझ है, समथिंग मिस्टीरियस । कुछ है जो छूट जाता है। वह ‍क्या है जो छूट

जाता है? निश्चित ही, पुरुष और स्त्री साथ-साथ जीते हैं। पुरुष स्त्री से पैदा होता है, स्त्री के साथ जीता है, प्रेम करता है, जन्म, पूरा जीवन बिताता है। फिर भी क्या है जो स्त्री के भीतर पुरुष के लिए अनजान और अपरिचित रह जाता है? वही अनजान और अपरिचित तत्व का नाम लाओत्से कह रहा है, फेमिनिन मिस्ट्री। घाटी का रहस्य, अंधकार का रहस्य, निषेध की खूबी। ‍क्या है स्त्री के

भीतर ?

"ताओ उपनिषद "


A child is born.  The father is very accidental in the birth of the child, he has no deep part.  And now scientist

 It is said that even without a father, it will not be necessary for too many days.  The father's share is negligible.  The birth is only from the mother.  So the key and the secret to creating life is hidden in the mother's body.  In the father's body

 The key and secret are not hidden.  Therefore, father can be proved to be non-essential at any time.  His work is also an injection

 will do it.

  And if I want to be the father of a child after ten thousand years from today, then I can become.  But if a mother decides today, then after ten thousand years she cannot become a mother.  Because mother's presence will be necessary now, my presence is not necessary.  My semen can be preserved, deep freeze.  After ten thousand years, injection can become the formula of birth in any woman.  I do not have to be.  Hence very soon posthumous children will be born.  Even though the father has been ten thousand years, his child can be born anytime.  Because Prakrit was not taking the work of the father too deeply.  Mother had a deep work.

 The creative work was of the mother.

 Psychologists say, that's why women are not able to do any creative work in the world.  Because she would do such a big creative job

 That there is no need to find any more Substitute - give birth to a living child!  But man has created many things in the world, woman has not produced.  Men draw pictures, make sculptures, discover science, write songs, make music.  You will be surprised to know that women cook in the whole world, but men always search for good food.  Men search for new food.  And no big hotel or any big emperor of the world is willing to keep a woman-cook, a man-cook has to be kept.  Whether a picture is made in the world, whether poetry is born, whether a novel is written, whether a new idol is created, all that is done by men.  What's the matter?

 Psychologists say that the male experiences jealousy;  He also feels inferiority in front of a woman.  Produce something

 Wants, who stands before the woman and can be said, We have also created something, we have also created something.  And the woman does not produce anything, because she produces such a big thing that there is no desire to produce another in her mind.  And if a woman has become a mother, then no matter how well she draws, she always fades in front of her son and her daughter and

 Would be dead  This is why infertile women try something like men.  They must build something with the man

 Enter the competition.  But if a woman truly becomes a mother, then her life would be satisfied to very deep depths.

 is.  Prakrit has chosen the woman as the source of prostration.

 Certainly, in the body of a woman, what the Lao Tzu is saying, we have to understand the feminine secret, only then we will be able to understand the feminine mystery in existence.  And our difficulty increases more, because man has made all efforts to understand life.  And all the films, all philosophy have been made by men.  So far no religion has been built around a woman prophet, a woman Tirthankar.  All scriptures belong to men.  Therefore, Laotse found it difficult to find a partner, because he praised the feminine secret.

 Whatever a man thinks, and whatever he does, he thinks from where the man is standing.  And the man is never able to understand the woman.  So the man constantly feels that the woman is incomprehensible, something mysterious.  There is something that is missed.  What is that discount

 goes?  Certainly, men and women live together.  A man is born of a woman, lives with a woman, loves, is born, spends his life.  What is it then that remains unknown and unfamiliar to the man within the woman?  The same unknown and unfamiliar element is called Laotse, Feminine Mystery.  The mystery of the valley, the mystery of darkness, the quality of prohibition.  What is woman's

 Within?

 "Tao Upanishad"



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