मां और बेटी के बीच होती है दुश्मनी। समाज छिपाता है, परिवार छिपाता है। लड़की जैसे-जैसे जवान होने लगती है, माँ दुश्मन होने लगती है। वह बिलकुल स्वभाविक है। वह हमारा एनिमल हेरिटेज है; वह जो जानवरों से हमें मिला है, वह है। बेटा जैसे जवान होने लगता है,बाप ईर्ष्या से भरने लगता है। मगर ये बातें कहने की नहीं हैं। सब बाप जानते हैं, सब बेटे जानते हैं। बेटा जैसे जवान होने लगता है, बाप को हटाने और सरकाने की कोशिश करने लगता है। निश्चित ही, जगह बनानी पड़ती है। जवान लड़की को देख कर मां को याद आना शुरू हो जाता है, वह भी कभी जवान थी। और यह भी याद आना शुरू हो जाता है, इन बच्चों के कारण उसकी जवानी खो गई। किसी के कारण खोती नहीं, बिना बच्चों के भी खो जाती है। लेकिन यह खयाल आने लगता है। और अब घर में कोई भी आदमी प्रवेश करता है, तो पहले जवान लड़की पर उसका ध्यान जाता है, पीछे बूढ़ी मां पर । पीड़ा भारी हो जाती है।
अगर लड़कीयों को विवाह के बाद उनके पतियों के घर भेजने की योजना किसी की होगी, तो वह माताओं की है। और चूँकि माताएं सदा जीत जाती हैं, इसलिए बाप हार गया। बेटे को घर में रखने के लिए उसको राजी होना पड़ा; बेटियों को बाहर करना पड़ा। अगर बाप भी अपनी बेटी के प्रति ज्यादा उत्सुकता लेर, जो कि बिलकुल स्वाभाविक है लेगा, तो मां को तकलीफ और ईष्या हो जाती है।
फिर बेटी बेटी नहीं दिखाई पड़ती, धीरे-धीरे निपट स्त्री दिखाई पड़ने लगती है।
लाओत्से कहता है, तुम यही जोड़ हो–इसी सब छुपी हुई गंदगी का। इसे हम घास के कुत्ते से ज्यादा नहीं मानते। और न हम इस पर
दया करते हैं, न इसकी क्षमा करते हैं, न हम इस पर कठोर हैं। हम सिर्फ इतना कहते हैं, यह बिलकुल व्यर्थ है, इररेवेंटट है, असंगत
है। इसका कोई मूल्य नहीं है। और जब तक यह गांठ फिक न जाए , तब तक वह जो मूल्यवान है, उसका आविर्भाव नहीं होता। और जब तक यह कचरा न हट जाए , तब तक भीतर वह जो सवर्ण छिपा है, वह कभी निखरता नहीं।
"ओशो ताओ उपनिषद"
There is enmity between mother and daughter. Society hides, family hides. As the girl grows young, the mother becomes an enemy. He is absolutely natural. He is our Animal Heritage; He is what we got from animals. As the son becomes young, the father starts to get envious. But these things are not to be said. Everyone knows the father, all the sons know. As the son becomes young, he tries to remove the father and move. Certainly, the place has to be built. The mother begins to miss seeing the young girl, she too was once young. And it also starts to be remembered, because of these children, he lost his youth. It is not lost due to anyone, it is lost without children. But this idea starts coming. And now any man enters the house, first he gets his attention on the young girl, behind the old mother. The pain becomes heavy.
If someone plans to send the girls to their husbands' house after marriage, then it is the mothers. And since mothers always win, the father loses. He had to agree to keep the son in the house; The daughters had to move out. If the father also takes more keenness towards his daughter, which is absolutely natural, then the mother gets hurt and jealous.
Then the daughter does not appear to be the daughter, gradually the settled woman begins to appear.
Lao Tzu says, you are this joint - all of this hidden filth. We do not consider it more than a dog of grass. And we don't
Have pity, neither forgive it, nor are we harsh on it. We just say, this is absolutely meaningless, irrelevant, inconsistent
is. It has no value. And until this knot gets trapped, what is valuable, it does not emerge. And until this garbage is removed, the upper caste that is hidden inside, never shines.
"Osho Tao Upanishad"
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