Snehdeep Osho Vision

 हमारे जन्म की धारा श्रृंखला है। बुद्ध ने पहली दफा इस जगत को जीवंत, प्रवाहमान आत्मा का भाव दिया– डायनेमिक, रिवर-लाइक, 

सारित-प्रवाह जैसी। जिस दिन भी घड़ा टूटेगा, उस दिन वही आत्मा मुक्त नहीं होगी, जिसने मुक्ति चाही थी। उसी श्रृंखला में कोई चेतना की धारा मुक्त होगी। श्रृंखला एक है। इकाई नहीं है, प्रवाह है। और अब जब तक वैज्ञानिक पदार्थ के जगत में भी इस सत्य के

करीब पहुंच रहे हैं। ‍क्योंकि वे कहते हैं, अब एटम कहना ठीक नहीं, इवेंट कहना ठीक है। अब! अब यह कहना कि अणु है, गलत है। 

घटना, अणु नहीं। और अब यह कहना कि वस्तु है, ठीक नहीं है–वस्तु-प्रवाह, बहाव, ‍क्वांटम! लाओत्से कहता है, शून्य हो जाओ। तो जैसे ही शून्य होने की घटना घटेगी, वैसे ही घड़ा व्यर्थ हो जाएगा। फिर भी घड़ा थोड़े दिन जी सकता है, ‍क्योंकि घड़े के अपने नियम हैं। आप एक घर में घड़ा ले आए , भरने लाए थे, लेकिन घर लाते-लाते आप बदल गए अब 

आप नहीं भरना चाहते। तो आपके नहीं भरने भर से घड़ा नहीं टूट जाएगा। घड़े का अपना अस्तीत्व है। घड़े को आप रख दें, खाली

वह रखा रहेगा, रखा रहेगा, जीर्ण-शीर्ण होगा, टूटेगा। दस वर्ष लगेंगे, गिरेगा। जिस दिन आपने तय किया कि अब घड़े में कुछ नहीं

भरना है, एक बात पक्की हो गई तक अब दुबारा आप घड़ा खरीद कर न लाएंगे। लेकिन यह घडा जो आप खरीद कर ले आए हैं, यह 

घड़ा आपके निर्वासना होने से ही नहीं टूट जाएगा। इसकी अपनी धारा रहेगी; इसका मोमेंटम अपना है।

इसलिए बुद्ध को ज्ञान हुआ चालीस वर्ष की उम्र में, भरे तो वे अस्सी वर्ष की उम्र में । चालीस साल घड़ा तो था। महावीर को ज्ञान

हुआ कोई बयालीस साल की उम्र में ,भरे तो कभी कोई चालीस साल बाद। तो चालीस साल तक घड़ा तो था। लेकिन अब घड़ा गैर-

भरा था। और अब सिर्फ प्रतीक्षा थी कि घड़ा अपने ही नियम से बिखर जाए , टूट जाए ।


"ओशो ताओ उपनिषद"


Our birth stream is series.  For the first time Buddha gave this world a feeling of a vibrant, flowing soul - dynamic, river-like,

 Like flow  The day the pitcher is broken, the same soul will not be liberated on that day, which seeks salvation.  Any stream of consciousness in the same chain will be free.  The series is one.  There is no unit, there is flow.  And until now in the world of scientific matter also this truth Are getting closer.  Because they say, now it is not right to say atom, it is ok to say event.  Now!  Now to say that there is a molecule is wrong.

Event, not molecule.  And now it is not right to say that there is an object - object flow, flow, quantum!  Lao Tzu says, be zero.  So as soon as the event of zero decreases, the pitcher will become unusable.  Still, the pitcher can live for a few days, because the pitcher has its own rules.  You brought a pitcher to a house, brought it to fill, but by changing the house you have changed now You do not want to fill.  So if you do not fill it, the pot will not break.  The pitcher has its own existence.  Keep the pitcher empty He will be kept, will be kept, will be dilapidated, will be broken.  It will take ten years, will fall.  The day you decided nothing in the pitcher Have to fill, one thing is confirmed, till now you will not bring the pitcher again.  But this watch you have bought, this

The pitcher will not break because of your exile.  It will have its own stream;  Its Momentum is its own.

Therefore Buddha attained enlightenment at the age of forty, he filled up at the age of eighty.  It was a pot for forty years.  Knowledge to Mahavir It happened at the age of forty-two, and some forty years later.  So the pot was there for forty years.  But now the pitcher is non- Was full  And now the only wait was that the pitcher be broken by its own rule, broken.


 "Osho Tao Upanishad"



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