Snehdeep Osho Vision

बुद्ध या लाओत्से जैसे ‍व्यक्ति जीवंत उपदेश हैं।
लेकिन कनफ्यूशियस ने लौट कर देखा, लेकिन ऐसा नहीं मालूम पड़ता है कि उसे उपदेश मिला। ‍क्योंकि उसने लौट कर अपने शिष्यों को कहा कि सिर पर से निकल गईं बातें, समझ नहीं आया। आदमी तो अदभुत मालूम होता है, सिंह की तरह। डर लगता है पास  खड़े होने में उसके। लेकिन बातें सब सिर पर से निकल गईं, कुछ समझ में नहीं आया। और बहुत जोर मैंने दिया, तो उस आदमी ने इतना ही कहा की मुझे देख लो।
तो ऐसा लगता नहीं की कनफ्यूशियस समझ पाया। ‍क्योंकि देखने के लिए भी आंखे चाहिए । और कनफ्यूशियस ज्ञान लेने आया था–इच्छा से भरा हुआ। और लाओत्से मौजूद था–अभी, यहीं। कनफ्यूशियस था भविष्य में–कुछ मिल जाए , कुछ जिससे आगे रास्ता खुले; 
कोई मोक्ष मिले, कोई आनंद, कोई खजाना अनुभूति का। यह जो आदमी मौजूद था सामने निपट, इस पर उसकी नजर न थी। इस 
आदमी से कुछ लेना था जो भविष्य में काम पड़ जाए । इसलिए शायद ही वह लाओत्से को देख पाया हो।
हम भी चूक जाते हैं। ऐसा नहीं है कि कन्फ्यूशियस चूक जाता है, हम भी चूक जाते हैं। आप भी बुद्ध या लाओत्से या महाबीर के
पास से निकलेंगे, तो सौ में एक मौका है इस बात का कि आपको पता चले ।
"ओशो ताओ उपनिषद"
Individuals like Buddha or Lao Tzu are lively sermons.
 But Confucius returned and looked, but it does not appear that he received the sermon.  Because he returned and told his disciples that things had gone out of his head, he could not understand.  The man seems amazing, like a lion.  He is scared to stand nearby.  But things went out of his head, nothing was understood.  And I insisted a lot, so the man said this much to see me.
 So it seems that Confucius could not understand.  Because eyes are also needed to see.  And Confucius had come to seek knowledge - full of desire.  And Laotse was present - right here, right here.  Confucius was in the future - something to be found, something to open the way ahead;
 Some salvation, some bliss, some treasury experience.  This man who was present was disposed in front, he was not eye on it.  this
 Had to take something from the man that might work in the future.  So hardly he could see Lao Tzu.
 We also miss.  It is not that Confucius misses, we also miss.  You also belong to Buddha or Lao Tzu or Mahabir
 If you pass by, then there is a chance in the hundred that you will know.
 "Osho Tao Upanishad"

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