लाओत्से कहता है, संकल्प क्षीण हो। उसका अर्थ है कि संकल्प शून्य हो। भीतर शून्यवत हो जाओ; कुछ होने की कोशिश मत करो ।
लाओत्से के इन्हीं सूत्रों से जूडो का विकास हुआ। और लाओत्से के इन्हीं सूत्रों से और बुद्ध के विचार के सम्मिलन से झेन का जन्म
हुआ। बुद्ध का विचार भारत से चीन पहुंचा । और चीन में लाओत्से के विचार की पर्त वातावरण में थी। इन दोनों के संगम से एक
बहुत ही नई तरह की चीज दुनिया में पैदा हुई–झेन। बुद्ध ने भी कहा था–बहुत और अर्थों में, किसी और तल पर–कि मैं अपने भीतर
के शत्रुओं से लड़ -लड़ कर हार गया और न जीत पाया ; और जब मैंने भीतर के शत्रुओं से लड़ना ही बंद कर दिया और जीतने का
ख्याल ही छोड़ दिया, तो मैंने पाया की मैं जीता ही हुआ हूं। और जब लाओत्से के इन सूत्रों से बुद्ध के इन विचारों का तालमेल बना,
तो एक बिलकुल ही नया विज्ञान पैदा हुआ। वह विज्ञान है बिना लड़े जीतने का। वह विज्ञान है: लड़ना ही नहीं और जीत जाना! संघर्ष
नहीं और विजय ! संकल्प नहीं और सफलता !
"ओशो ताओ उपनिषद"
Lao Tzu says, Let the will be weak. That means the resolution is zero. Be free from within; Do not try to be something.
Judo developed from these sources in Laotse. And from these sources of Lao Tzu and the incorporation of the idea of Buddha, the birth of Zen
Happened. The idea of Buddha reached China from India. And Laotse's idea in China was in the atmosphere. One of these two confluence
A very new kind of thing was born in the world - Zen. Buddha also said - in many more ways, on some other plane - that I was
Fought and defeated his enemies, and could not win; And when I stopped fighting the enemies inside and won
Left out, I found myself alive. And when these sources of Laotse aligned these ideas of Buddha,
So an entirely new science was born. That is science without winning. That's science: don't just fight and win! struggle
No more victory! No determination and success!
"Osho Tao Upanishad"
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