The science of the West is built on the Greek belief that accepts the opposite.
All the science of the West is Aristotelian, standing on the principle of Aristotle. And Aristotle is no more different than Laotse.
If we understand properly, there are only two sciences in the world: one of Aristotle and one of Laotse. Laotse
The idea is Aristotle's whole idea of the West. So, if we take into consideration some difference between these two, then it is easy to understand
Will come.
Osho Tao Upnishad
पश्चिम का जो विज्ञान निर्मित हुआ है, वह उस यूनानी धारणा के ऊपर खड़ा है, जो विपरित को स्वीकार करती है।
पश्चिम का सारा विज्ञान ऐरिस्टोटेलियन है, अरस्तू के सिद्धांत पर खड़ा है। और लाओत्से से बड़ा विरोधी अरस्तू का दूसरा और नहीं है।
अगर हम ठीक से समझें तो दुनिया में दो ही विज्ञान हैं : एक अरस्तू का और एक लाओत्से का। पूरब का सारा विचार लाओत्से का
विचार है और पश्चिम का सारा विचारअरस्तू का। तो इन दोनों के थोड़े भेद को हम ख्याल में ले लें, तो बात आसानी से समझ में
आ जाएगी ।
ओशो ताओ उपनिषद
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