यैस ओशो, अंक अप्रैल २०२०
स्तंभ : हमारी प्यारी धरती
आलेख : अनिल सरस्वती
कोरोना वायरस मनुष्य के भय से निर्मित यमराज
31 दिसंबर 2019, चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को मध्य चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में एक अनजाने न्यूमोनिया के कई मामलों के सामने आने के विषय में जानकारी दी। 3 माह के भीतर कोविड-19 नाम का यह फ्लू लगभग पूरे विश्व में फैल गया। आज 8 अप्रैल 2020 तक 190 से अधिक देशों में लगभग 13,50,000 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं और इससे मरने वालों की संख्या 82,००० हो चुकी है। इस वायरस के भय ने विश्व भर की अर्थव्यवस्थाओं को हिला कर रख दिया है। ऐसा कहा जा रहा है की द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पृथ्वी के इतिहास में यह सबसे बड़ी विपत्ति है। दुनिया भर के स्टॉक बाजार धराशायी हो रहे हैं। विश्व के अधिकांश देशों में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। स्कूल, कॉलेज, दुकानें, बाजार, सिनेमा, होटल, यातायात सभी बंद हैं। कोई दफ्तर या कारखाना नहीं चल रहा।
भारत में करोड़ों मजदूर बेघरबार होकर सड़कों पर आ गए हैं। यह एक बहुत भयावह स्थिति है। लेकिन क्या यह वायरस वाकई इतना खतरनाक है कि पूरा विश्व भय से थर-थर कांपने लगे?
आइये अब तक विश्व में आई महामारियों के इतिहास पर नजर डालें:
एंटोनाईन प्लेग, ईसा के 165 वर्ष बाद इस अनजानी महामारी के प्रकोप से इजिप्त, ग्रीस और इटली में चेचक जैसी एक बीमारी से 50 लाख लोग मारे गए। मेसोपोटेमिया से लौटते हुए सैनिक इस महामारी को रोम लेकर आए थे जो तेजी से चारों ओर फैल गयी।
जस्टीनियन प्लेग, वर्ष 541 इस महामारी ने यूरोप की लगभग आधी जनसंख्या को खत्म कर दिया था। एक साल में इस प्लेग ने कुल 2 करोड़ 50 लाख लोगों को मृत्यु के घाट उतार दिया।
काली मृत्यु, वर्ष 1346-1353 दि ब्लैक डेथ के नाम से जाने वाली यह प्लेग इस धरती पर होने वाली सबसे भयानक घटना है। इस प्लेग का जन्म भी चीन में हुआ था। उस समय समुद्री जहाज ही एक देश से दूसरे देश जाने का साधन थे। इन जहाजों पर पलने वाले चूहों और मक्खियों के जरिये यह महामारी पूरे यूरोप, एशिया और अफ्रीका में फैल गई और 7 वर्षों तक मौत का तांडव करती रही। इससे मरने वालों की संख्या 10 से 20 करोड़ के बीच थी।
इन्फ्लूएंजा महामारी, वर्ष 1918-1919
यह हाल के इतिहास में सबसे गंभीर महामारी थी। हालाँकि इस बारे में कोई सर्वसम्मति नहीं है कि इसका वायरस कहाँ से उत्पन्न हुआ, यह 1918-1919 के दौरान दुनिया भर में फैल गया। यह अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 50 करोड़ लोग या दुनिया की एक तिहाई आबादी इस वायरस से संक्रमित हो गई। दुनिया भर में अनुमानतः कम से कम 5 करोड़ लोगों की इससे मृत्यु हुई, भारत में इससे मरने वालों की संख्या लगभग २० लाख थी।
अभी हाल में विश्व पर सार्स और एड्स जैसे रोगों का आक्रमण भी होता आया है।
जिन महामारियों का जिक्र हम कर रहे हैं उनके समय चिकित्सा विज्ञान अपनी अति अविकसित स्थिति में था। आज हमारे पास आधुनिक और विकसित जैव-विज्ञान है।
इन सब तथ्यों के बीच यह भी सोचने जैसा है कि यह वायरस क्या वास्तव में इतना खतरनाक है जैसा विश्व प्रतिक्रिया कर रहा है? अमरीका के रोग नियंत्रण एवं निवारण केंद्र के अनुसार हर मौसम में होने वाले साधारण फ्लू से हर वर्ष विश्व में लगभग 6,46,000 लोगों की मृत्यु होती है। इसे तो हमने कभी आपातकालीन स्थिति की तरह नहीं लिया। साधारण फ्लू के पीछे छिपी मृत्यु हमें दिखाई नहीं देती। दि ग्लोबल बर्डन और डिसीज़ की रिपोर्ट बताती है कि हर वर्ष विश्वभर में कुपोषण व भूख से लगभग 90 लाख लोग अपनी जान गंवाते हैं। इतने लोगों की मृत्यु हमें इतना कंपित नहीं करती जितना कोरोनावायरस से हुई 82,000 मौतें कर रही हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे धरती पर प्रलय आ गई हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष प्रदूषण के कारण 42 लाख लोग मारे जाते हैं। लेकिन कोई देश, कोई राजनेता इसे आपातकालीन स्थिति नहीं समझता। हमारी फैक्टरियां, हमारे वाहन जहर उगलते चले जाते हैं। वन कटते जाते हैं और इस धरती का दम घुटता रहता है। सबसे अधिक मौतों का इस धरती पर कारण है हृदयरोग जिससे लगभग 2 करोड़ लोग हर वर्ष मरते हैं। हृदयरोग की इन मृत्युओं के पीछे न जाने कितनी मानसिक परिस्थितियां छिपी होती हैं। लेकिन इसके कारण कोई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपनी विदेशी यात्राओं को रद्द नहीं करता।
इस धरती पर विभिन्न कारणों से हर मिनट 105 लोग मर रहे हैं या कहें हर 1000 में से 8 लोग मर रहे हैं। प्रति दिन यह आंकड़ा 151600 का हो जाता है। मृत्यु हर क्षण इस धरती पर और हमारे चारों और सदा मंडराती रहती है, फिर कोरोना वायरस से हुई 82,000 मौतों का इतना भय किसलिए? ऐसा प्रचार और प्रसार हो रहा है जैसे पूरी धरती पर मौत का तांडव हो रहा है।
लोग टेलीविज़न और इंटरनेट के सामने कुरसी जमाए सारा दिन महामारी की खबर देख-देखकर स्वयं को तनाव का शिकार बनाते चले जा रहे हैं।
यह तनाव हमारे स्वास्थ्य को कोरोनावायरस से अधिक प्रभावित कर सकता है। तनाव हमारे रक्तचाप को बढ़ाता है, और वही हृदयरोग बनता है।
स्वयं को पूरा सुरक्षित जरूर रखें लेकिन इस नकारात्मकता से बचिए। रचनात्मक कार्य करें, हंसने के बहाने ढूंढें, नृत्य करें, ध्यान करें। भयभीत होकर जीवन के उत्सव को न भूल जायें।
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Yes Osho, Issue April 2020
Pillar: Our Lovely Earth
Article: Anil Saraswati
Yamraj created due to fear of corona virus human
On 31 December 2019, China informed the World Health Organization about the unfolding of several cases of an unintentional pneumonia in Wuhan, capital of Hubei province of central China. Within 3 months, the flu named Kovid-19 has spread almost all over the world. Today, by April 8, 2020, about 13,50,000 people in more than 190 countries have been infected with coronavirus and the death toll has risen to 82,000. The fear of this virus has shaken economies around the world. It is said that this is the biggest disaster in the history of the earth after the Second World War. Stock markets around the world are collapsing. Lockdown has been declared in most countries of the world. Schools, colleges, shops, markets, cinema, hotels, traffic are all closed. No office or factory is running.
In India, crores of workers have come homeless. This is a very frightening situation. But is this virus really so dangerous that the whole world trembles with fear?
Let's look at the history of epidemics in the world so far:
The Antonine plague, 165 years after Christ, killed five million people from a disease like smallpox in Greece and Italy, ejected by the outbreak of this unknown pandemic. Returning from Mesopotamia, soldiers brought this epidemic to Rome, which quickly spread around.
Justinian plague, year 541 This epidemic killed nearly half of Europe's population. In a year, this plague killed a total of 25 million people.
Kali death, the year 1346-1353 This plague, known as The Black Death, is the most terrible event on this earth. This plague was also born in China. At that time, seaplanes were the only means of going from one country to another. Through the rats and flies that landed on these ships, the epidemic spread throughout Europe, Asia, and Africa, and orchestrated death for 7 years. The death toll from this was between 10 to 20 crores.
Influenza pandemic, year 1918-1919
It was the most severe epidemic in recent history. Although there is no consensus about where the virus originated, it spread worldwide during 1918–1919. It is estimated that about 500 million people, or one-third of the world's population, have been infected with the virus. It is estimated that at least 5 crore people died worldwide, the number of people who died due to this in India was about 2 million.
More recently, diseases like SARS and AIDS have also been attacked on the world.
At the time of the epidemics we are referring to, medical science was in its very underdeveloped condition. Today we have modern and developed bio-science.
Amidst all these facts, it is also like thinking that is this virus really so dangerous as the world is reacting? According to the US Centers for Disease Control and Prevention, every year around 6,46,000 people die due to the common flu in every season. We never took it as an emergency. We do not see the hidden death behind simple flu. The Global Burden and Disease report states that every year around 9 million people lose their lives due to malnutrition and hunger. The death of so many people does not stagger us as much as the 82,000 deaths caused by coronavirus. It seems as if a catastrophe has occurred on the earth. According to the World Health Organization, 42 million people die every year due to pollution. But no country, no politician considers it an emergency. Our factories, our vehicles go on spewing poison. Forests are cut and this earth suffers. Heart disease is the cause of most deaths on this earth, due to which about 2 crore people die every year. How many mental conditions are hidden behind these cardiac deaths. But due to this, no Prime Minister or President cancels his foreign visits.
On this earth 105 people are dying every minute due to various reasons or say 8 out of every 1000 people are dying. This figure becomes 151600 per day. Death is always hovering on this earth and all around us, then why so much fear of 82,000 deaths due to corona virus? Such propagation and propagation is taking place like death orgy is happening all over the earth.
People are pedaling themselves in front of television and the Internet, seeing the news of the epidemic all day, they are going to become victims of stress.
This stress can affect our health more than coronavirus. Stress raises our blood pressure, and that makes heart disease.
Keep yourself safe, but avoid this negativity. Do creative work, find excuses to laugh, dance, meditate. Do not forget the celebration of life in fear.
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