"__ नग्नता __"
एक निर्दोष चित्त-दशा
एक स्थिति आती है ध्यान की कुछ लोगों को अनिवार्य रूप से आती है
कि वस्त्र छोड़ देने की हालत हो जाती है। वे मुझसे पूछकर नग्न हुए हैं। इसलिए उन पर एक्सप्लोसिव मत होना, होना हो तो मुझ पर होना। जो लोग भी यहां नग्न हुए हैं वे मुझसे आज्ञा लेकर नग्न हुए हैं। मैंने उनसे कह दिया कि ठीक है। वे मुझसे पूछ गए हैं आकर कि हमारी हालत ऐसी है कि हमें ऐसा लगता है एक क्षण में कि अगर हमने वस्त्र न छोड़े तो कोई चीज अटक जाएगी। तो मैंने उनको कहा है कि छोड़ दें।
यह उनकी बात है, आप क्यों परेशान हो रहे हैं? इसलिए उनसे किसी ने भी कुछ कहा हो तो बहुत गलत किया है। आपको हक नहीं है वह, किसी को कुछ कहने का। थोड़ा समझना चाहिए कि एक निर्दोष चित्त....... .एक घड़ी है जब कई चीजें बाधाएं बन सकती हैं। कपड़े आदमी का गहरा से गहरा इनहिबिशन है। कपड़ाजो है वह आदमी का सबसे गहरा टैबू है, वह सबसे गहरी रूढ़ि है जो आदमी को पकड़े हुए है। और एक क्षण आता है कि कपड़े करीब—करीब प्रतीक हो जाते हैं हमारी सारी सभ्यता के। और एक क्षण आता है मन का कभी.. .किसी को आता है, सबको जरूरी नहीं..।
बुद्ध कपड़े पहने हुए जीए, जीसस कपड़े पहने हुए जीए,महावीर ने कपड़े छोड़े। एक औरत ने भी हिम्मत की। महावीर के वक्त में औरतें हिम्मत न कर सकी। महावीर की शिष्याएं कम न थीं, ज्यादा थीं शिष्यों से। दस हजार शिष्य थे और चालीस हजारशिष्याएं थीं। लेकिन शिष्याएं हिम्मत न जुटा सकी कपड़े छोड़ने की। तो महावीर को तो इसी वजह से यह कहना पड़ा कि इन स्त्रियों को दुबारा जन्म लेना पड़ेगा। जब तक ये एक बार पुरुष न हों तब तक इनकी कोई मुक्ति नहीं। क्योंकि जो कपडा छोड़ने से डरती हैं, वे शरीर छोड़ने से कैसे न डरेंगी। तो महावीर को इसलिए एक नियम बनाना पड़ा कि स्त्री—योनि से मुक्ति नहीं हो सकती,उसे एक दफे पुरुष—योनि में आना पड़ेगा। और कोई कारण न था।
लेकिन हिम्मतवर औरतें हुईं। अगर कश्मीर की लल्ला महावीर को मिल जाती, तो उनको यह सिद्धांत न बनाना पड़ता। महावीर की तरह एक औरत हुई कश्मीर में—लल्ला। और अगर कश्मीरी से जाकर पूछेंगे तो वह कहेगा हम दो ही शब्द जानते हैं— अल्ला और लल्ला। दो ही शब्द जानते हैं। एक औरत हुई जो नग्न रही। और सारे कश्मीर ने उसको आदर दिया। क्योंकि उसकी नग्नता में उन्हें पहली दफा दिखाई पड़ा— और तरह का सौंदर्य, और तरह की निर्दोषता, और तरह का आनंद, एक बच्चे जैसा भाव। अगर लल्ला महावीर को मिल जाती, तो महावीर के ऊपर एक कलंक लग गया, वह बच जाता। महावीर के ऊपर एक कलंक है, और वह कलंक यह है कि स्त्री—योनि से मुक्ति न हो सकेगी। और उसका कारण महावीर नहीं हैं, उसका कारण जो स्त्रियां उनके आसपास इकट्ठी हुई होंगी वे हैं। क्योंकि उन्होंने कहा, यह तो असंभव है। तो फिर महावीर ने कहा, वस्त्र न छोड़ सकोगी तो शरीर कैसे छूटेगा?इतनी ऊपरी पकड़ है, तो भीतर की पकड़ कैसे जाएगी ..?
जोरबा दी बुद्धा !
ओशो.....
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"__ nudity __"
An innocent mind
There comes a situation some people inevitably get attention.
That the condition of giving up clothes becomes. They have asked me naked. So don't be exploitive on them, be on me if you want to be. People who have been naked here have taken naked orders from me. I told them that it was fine. They have asked me that after coming that our condition is such that we feel that in a moment if we do not leave the clothes then something will get stuck. So I told them to leave.
This is their thing, why are you getting upset? Therefore, if anyone has said anything to them, they have done very wrong. You do not have the right to say anything to anyone. Little should be understood that an innocent mind…. Is a time when many things can become obstacles. Clothes are the deepest inhibition of man. The cloth which is the deepest taboo of man, is the deepest cloak that holds the man. And a moment comes that clothes become almost a symbol of all our civilization. And a moment comes anytime of the mind…. Someone comes, not everyone is required….
Buddha wearing clothes, Jesus wearing clothes, Mahavira left clothes. A woman also dared. Women could not dare during Mahavir's time. Mahavira's disciples were not less, more than the disciples. There were ten thousand disciples and there were forty thousand disciples. But the disciples could not muster the courage to leave the clothes. So for this reason Mahavir had to say that these women will have to be born again. Unless they are once men, they have no freedom. Because those who are afraid to leave their clothes, how will they not be afraid to leave the body. So Mahavira had to make a rule that there cannot be freedom from the vagina, he will have to come to the male vagina once. There was no other reason.
But courageous women happened. If Lalla Mahaveer of Kashmir had got it, he would not have to form this principle. Like Mahavir, a woman was in Kashmir - Lalla. And if we go and ask Kashmiri, he will say that we know only two words - Allah and Lalla. Only two words are known. There was a woman who remained naked. And all Kashmir respected him. Because for the first time in his nakedness he was seen - and kind of beauty, and kind of innocence, and kind of joy, like a child. If Lalla had found Mahavira, there would have been a stigma on Mahavir, he would have survived. There is a stigma on Mahavira, and that stigma is that there will not be freedom from the vagina. And the reason for that is not Mahavira, the reason for that is the women who gathered around him. Because they said, it is impossible. Then Mahavir said, "If you will not be able to leave your clothes, how will the body be touched? If there is so much grip, then how will the inner grip go ..?
Jorba the Buddha!
Osho.....
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