हम समय को तीन हिस्सों में बांटते है—भूत, भविष्य और वर्तमान। यह विभाजन गलत है। सर्वथा गलत है। केवल भूत और भविष्य समय है, वर्तमान समय का हिस्सा नहीं है। वर्तमान शाश्वत का हिस्सा है। जो बीत गया वह समय है। जो आने वाला है समय है।
लेकिन जो है वह समय नहीं है। क्योंकि वह कभी बीतता नहीं है। वह सदा है। अब सदा है। वह सदा है। यह अब शाश्वत है।
अगर तुम अतीत से चलो तो तुम कभी वर्तमान में नहीं आते। अतीत से तुम सदा भविष्य में यात्रा करते हो। उसमे कोई क्षण
नहीं आता जो वर्तमान हो। तुम अतीत से सदा भविष्य में गति करते रहते हो। आकर वर्तमान से तुम और वर्तमान में गहरे उतरते हो,अधिकाधिक वर्तमान में । यहां नित्य जीवन है।
बुद्ध और शिव शाश्वत में रहते है, समय में नहीं ।
"ओशो विज्ञान भैरव तंत्र"
We divide time into three parts - past, future and present. This division is incorrect. Is completely wrong. Only past and future is time, present is not part of time. The present is part of the eternal. All that has passed is time. What is to come is time.
But what is there is no time. Because it never passes. He is always Is forever He is always It is now eternal.
If you walk from the past, you never come to the present. From the past you always travel to the future. Any moment in it
Do not know what is present. You always move from the past to the future. You come deeper into the present and deeper into the present, more and more into the present. There is daily life here.
Buddha and Shiva live in perpetuity, not in time.
"Osho Vigyan Bhairava Tantra"
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