It is very difficult to recognize such love. Because we recognize words. We recognize deeds. If someone says that I love, then it makes sense. If someone does such a deed like love, it makes sense. If there is idle love, undivided love, undeclared love, then we do not think. We will understand, no. So many times it happened that the exact lover on this earth could not be identified.
Osho Tao Upanishad
ऐसे प्रेम को पहचानना अति कठिन है। क्योंकि हम शब्दों को पहचानते हैं। हम कर्मों को पहचानते हैं। कोई व्यक्ति कहे की मैं प्रेम करता हूं, तो समझ में आता। कोई ऐसा कर्म करे प्रेम करने जैसा, तो समझ में आता। अगर निष्क्रिय प्रेम हो, अनिभिव्यक्तत प्रेम हो, अघोषित प्रेम हो, तो हमारे ख्याल में ही नहीं आता। हम समझेंगे, नहीं है। इसलिए बहुत बार ऐसा हुआ की इस पृथ्वी पर ठीक-ठीक प्रेमी नहीं पहचाने जा सके ।
ओशो ताओ उपनिषद
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