*चेतना ही सत्य है, कांशसनेस ही सत्य है*
*समस्त जीवन एक ऊर्जा है।*
सैक्स मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऊर्जा का नाम है।
सैक्स मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण ऊर्जा का नाम है।
यदि सैक्स सफल हो जाये तो परिग्रह बन जाता है।
यदि सैक्स स्वयं की हीनता से विफल हो जाये तो चोरी बन जाता है।
यदि सैक्स दूसरे के कारण से विफल हो जाये तो हिंसा बन जाता है।
सैक्स के मार्ग पर, कामना के मार्ग पर, इच्छा के मार्ग पर, अगर कोई बाधा बनता हो तो सैक्स हिंसक हो उठता है।
अगर कोई बाधा न हो, भीतर की ही क्षमता बाधा बनती हो तो सैक्स चोर हो जाता है।
और
*अगर कोई बाधा न हो, भीतर की कोई अक्षमता न हो और सैक्स सफल हो जाये तो परिग्रह बन जाता है।*
इस सैक्स को गहरे से समझना जरूरी है।
मनुष्य एक ऊर्जा है, एक एनर्जी है। इस जगत में ऊर्जा, एनर्जी के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।
*समस्त जीवन एक ऊर्जा है।*
वे दिन लद गये कि जब कुछ लोग कहते थे, पदार्थ है। वे दिन समाप्त हो गये। नीत्से ने इस सदी के प्रारंभ होते समय में कहा था कि “ईश्वर मर गया है।’ लेकिन यह सदी अभी पूरी नहीं हो पाई, ईश्वर तो नहीं मरा, पदार्थ मर गया है। मैटर इज डेड। “मर गया है’ कहना भी ठीक नहीं है। पदार्थ कभी था ही नहीं। वह हमारा भ्रम था, दिखाई पड़ता था। वैज्ञानिक कहते हैं कि पदार्थ सिर्फ सघन हो गई ऊर्जा है, कंडेंस्ड एनर्जी। पदार्थ जैसी कोई चीज ही जगत में नहीं है। वह जो पत्थर है इतना कठोर, इतना स्पष्ट, इतना सब्सटेंसियल वह भी नहीं है। वह भी विद्युत की धाराओं का सघन हो गया रूप है। आज सारा जगत, विज्ञान की दृष्टि में ऊर्जा का समूह है, एनर्जी है। धर्म की दृष्टि में सदा से ही यही था। धर्म उस शक्ति को परमात्मा का नाम देता था। विज्ञान उस शक्ति को अभी एनर्जी, शक्ति मात्र ही कह रहा है। थोड़ा विज्ञान और आगे बढ़ेगा तो उससे एक और भूल टूट जाएगी। आज से पचास साल पहले विज्ञान कहता था, पदार्थ ही सत्य है।
*आज विज्ञान कहता है, शक्ति ही सत्य है।*
*कल विज्ञान को कहना पड़ेगा कि चेतना ही सत्य है, कांशसनेस ही सत्य है।*
जैसे विज्ञान को पता चला कि ऊर्जा का सघन रूप पदार्थ है, वैसे ही *विज्ञान को आज नहीं कल पता चलेगा कि चेतना का सघन रूप एनर्जी है.*
🔥ओशो🔥
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